महामारी की दूसरी लहर गुजरने के साथ-साथ प्रदेश में बेरोजगारी फिर से बढ़ती जा रही है। सरकार का कहना है कि वे हर व्यक्ति को नौकरी नहीं दे पाएंगे, निजी क्षेत्र में रोजगार के बहुत विकल्प उपलब्ध हैं। हालांकि प्रदेश के 7 जिलों में की गई पड़ताल के अनुसार सात बड़ी इंडस्ट्रियल एरिया के निजी क्षेत्र में भी रोजगार की काफी चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
इन इंडस्ट्रियल एरिया में 100 से ज्यादा चाय वालों पर एक सर्वे किया गया जिसमें पता चला कि कोरोना काल के दौरान उनकी चाय की खपत 60% तक घट गई है। महामारी से पहले चाय के ठेले पर बहुत भीड़ हुआ करती थी परंतु अब ये सुनसान हो गए हैं।
यह सीधे-सीधे इंडस्ट्रियल एरिया में श्रमिकों व कर्मचारियों की कमी को दर्शाता है क्योंकि खाली समय में श्रमिक यहां चाय पीने आते थे। परंतु अब इनकी बिक्री में बहुत कमी आई है।
दूसरी ओर लेबर, ठेकेदारों और इंडस्ट्री संचालकों का भी यही मानना है कि निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए लगातार सरकार दुहाई दे रही है। लेकिन महामारी की वजह से केवल 50% श्रमिकों की ही जरूरत रह गई है। कई फैक्ट्रियों में एक्स्ट्रा शिफ्ट का काम भी बंद कर दिया गया है और कई इलाकों में नाइट शिफ्ट भी नहीं हो रही।
महामारी और लॉकडाउन के कारण खपत में बड़े पैमाने पर कमी देखने को मिली है। इसके कारण फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन 50% तक घट गया है और श्रमिकों की मांग भी कम हो गई है। इन सातों इंडस्ट्रियल एरिया में 2 लाख से ज्यादा लोगों का रोजगार जा चुका है।
दूसरी तरफ, लेबर ठेकेदारों और इंडस्ट्री संचालकों ने भी माना कि सरकार जिस निजी क्षेत्र में रोजगार की लगातार दुहाई दे रही है, वहां कोरोना से पहले की तुलना में अब 50% श्रमिकों की ही जरूरत रह गई है। कोरोना और लॉकडाउन के कारण खपत में बड़े पैमाने पर कमी आई है।
इसके चलते फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन 50% तक घटा है। प्रोडक्शन घटने के साथ ही श्रमिकों की मांग भी कम हो गई है। इन सातों इंडस्ट्रियल एरिया में कम से कम दो लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं। रोजगार को लेकर विपक्ष भी लगातार सरकार को घेर रहा है।
महामारी काल से पहले इंडस्ट्रियल एरिया में चाय के ठेलों पर भीड़ होती थी। अब ये सुनसान हो रहे हैं।
कई इलाकों में तो 500 से 700 चाय रोज बेचने वालों की बिक्री घटकर 150 चाय रोजाना रह गई है।
खपत घटने से फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन 50% तक कम हो चुका। श्रमिकों की डिमांड भी आधी रह गई।
फैक्ट्रियों में एक्स्ट्रा शिफ्ट में काम बंद हुआ। कई इलाकों में तो अब नाइट शिफ्ट भी नहीं हो रही।
कोरोना काल में इन 7 बड़े इंडस्ट्रियल एरिया में 2 लाख से ज्यादा युवाओं का रोजगार जा चुका है।
बहादुरगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया में छोटी-बड़ी करीब 3600 फैक्ट्रियां हैं, लेकिन इनमें से महज 10% में ही अभी काम चल रहा है।
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