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शहर में बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं बच्चे, प्रशासन को सख्त कदम उठाने की है आवश्यकता

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कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं, राजेश जोशी की यह कविता इन दिनों बाल श्रम कर रहे बच्चों पर सटीक होती नजर आ रही है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में बाल मजदूरी ना कराने तथा भिक्षावृत्ति को लेकर अनेक पोस्टर्स लगे हुए हैं परंतु ना तो भिक्षावृत्ति पर रोक लग पा रही है और ना ही बाल मजदूरी पर।

कहते हैं मजबूरी इंसान से सब करवाती है। यही मजबूरी बच्चों को बाल श्रम करने पर भी मजबूर करती है। जिले में निचले तबके के लोगों के पास ना तो रोजगार है और ना ही पेट पालने के लिए अन्य साधन ऐसे में लोगों अपने छोटे-छोटे बच्चों से मजदूरी करवाते हैं। ‌

शहर में बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं बच्चे, प्रशासन को सख्त कदम उठाने की है आवश्यकता

शहर के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों को मजदूरी करते हुए देखा जा सकता है चाहे वह कंस्ट्रक्शन साइट हो या फिर चाय की टपरी इन सभी जगहों पर बच्चों को बाल मजदूरी करते हुए देखा जा सकता है।

आपको बता दें कि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना अपराध है और यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उचित कार्यवाही के भी प्रावधान है परंतु इन सब के बावजूद शहर में बाल मजदूरी पर रोक नहीं लग पा रही है वहीं शहर में भीख मांगते हुए बच्चों को भी देखा जा सकता है। अजरौंदा चौक पर भिक्षावृत्ति को लेकर प्रशासन की ओर से पोस्टर भी लगाया हुआ है परंतु वहीं पर बच्चों को भीख मांगते हुए देखा जा सकता है।

शहर में बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं बच्चे, प्रशासन को सख्त कदम उठाने की है आवश्यकता

प्रशासन की ओर से बाल मजदूरी को रोकने के लिए अनेक कदम उठाए जाते हैं परंतु इन सब के बावजूद भी बाल मजदूरी पर रोक नहीं लग पा रही है।

‌ कुछ लोग बच्चों को काम पर रखते हैं और उनका शोषण करते हैं ऐसे में प्रशासन को बाल मजदूरी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है तथा मजबूरी के कारण माल मजदूरी कर रहे बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।

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