अरावली की पहाड़ियों में किस तरह हुआ जमीन का चीरहरण, भू कटाई से लेकर बिजली कनेक्शन की दास्तां

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अरावली की हरियाली से भरी हुई पहाड़ियां जो आज यहां भूमाफियाओं के चलते बस्ती से खचाखच भरी हुई दिखाई दे रही है। अरावली वन क्षेत्र में खोरी बस्ती जो आज भूमि माफियाओं के चलते कच्ची रसीद के सहारे मकान के भेंट चढ़ा दी गई है।

यहां जीवन गुजर-बसर करने के लिए पानी की कमी का महसूस हुआ तो भू माफियाओं द्वारा बिजली से लेकर पानी तक का भी इंतजाम कर दिया गया। बिजली के लिए जरूरी लाइन तक बिछवा दी गई, वहीं इसके अलावा बिजली मीटर कनेक्शन करवा दिए।

अरावली की पहाड़ियों में किस तरह हुआ जमीन का चीरहरण, भू कटाई से लेकर बिजली कनेक्शन की दास्तां

यहां मकानों के बाहर लगे कूलर, डिश एंटीना से स्पष्ट है कि बिजली तो भरपूर मिलती है और यह दिल्ली से आती है। वहीं

स्थानीय आवंगुतुकों ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि माफिया उनसे इसके बदले प्रति यूनिट 13 रुपये के हिसाब से प्रति माह बिल वसूलता है। बिहार के जमुई से यहां आकर बसे जितेंद्र शर्मा और गोरखपुर यूपी से आकर यहां बसे अवधेश यादव घरों में पुताई आदि का काम करते हैं, उन्होंने कहा कि वो यहां 15 साल से रह रहे हैं।

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यहां बसे लोगों को 1500 से 2000 रुपये प्रति गज के हिसाब से प्लाट बेचे गए। क्या कोई रजिस्ट्री है, इस पर उन्होंने कहा कि भूमाफिया ने तो उन्हें कच्ची रसीद दी थी और कहा कि इसके वो जिम्मेदार है। अब जब उनके सिर पर मकान ढहने की तलवार लटक रही है, तो सारे गायब हैं।

माफिया द्वारा भेजे गए लोगों द्वारा उनसे हर महीने बिजली बिल की राशि वसूल की जाती हैं। आमजन का कहना है कि महंगी तो है, पर क्या करें गुजारा भी तो करना है। सारे जीवन भर की कमाई तो यहीं लगा दी, अब जाएं तो कहां जाएं।

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तब तो थाने वाले भी हर मकान मालिक से 10 से 15 हजार रुपये लेकर गए, वन विभाग वाले भी पांच-पांच हजार रुपये ले जाते थे। जब यहां पर मकान बना रहे थे, तभी नगर निगम वाले तोड़ दिए होते, तो हमें दुख नहीं होता। नेपाल से आकर बसे मनोज मजदूरी व हाथरस से आए भगवती प्रसाद कढ़ाई का काम करते हैं।

उनके अनुसार माफिया हर महीने रजिस्टर लेकर आते थे। मीटर रीडिंग लेकर किसी से 1600, किसी से दो हजार रुपये लेते हैं। अगर किसी महीने बिजली का खर्चा देने में देरी हो जाती है, तो कनेक्शन काट देते हैं। पानी के लिए टैंकर मंगवाते थे, पुलिस ने तो अब टैंकर पर भी रोक लगा दी है।

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भगवती प्रसाद ने यह भी कहा कि उन्हें किराए पर भी मकान नहीं मिल रहा है। सामान लेकर कहां जाएं, अंत तक यहीं रहेंगे। शायद सरकार हमारे बारे में कोई सोच ले और हमारे मकान टूटने से बच जाएं, या हमारे लिए कोई प्रबंध कर ले। इसी आस के साथ अभी यहीं टिके हुए हैं।

दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के कार्य क्षेत्र की बात करें, तो खोरी बस्ती मथुरा रोड सब डिवीजन के तहत आता है और निगम के सर्कल कार्यालय की ओर से जिला उपायुक्त को जो जानकारी भेजी गई है, उसके अनुसार खोरी गांव में 200 केवीए का एक ट्रांसफार्मर स्थापित है और 46 कनेक्शन आवंटित किए गए हैं।

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निगम के अधीक्षक अभियंता नरेश कक्कड़ के अनुसार खोरी बस्ती में जो बिजली आपूर्ति हो रही है, वो दिल्ली क्षेत्र से हो रही है। डीएचबीवीएन की कोई बिजली चोरी नहीं हो रही और जो 46 कनेक्शन हैं, वो नियमित रूप से अपना बिल भरते हैं और यह कनेक्शन खोरी गांव के हैं।