सरकार के द्वारा लॉकडाउन की छठी किस्त लोगों को दे दी है, जिसमें उन्होंने दुकानदारों को बड़ी राहत देते हुए ऑडी वन सिस्टम को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया है। वहीं उनकी दुकान खोलने का समय भी बढ़ा दिया गया है। जैसे ही lockdown के नियमों में बदलाव देखा गया, वहीं जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल में भी मरीज़ों की भीड़ देखने को मिली है।
अभी लॉकडाउन को खुले हुए एक ही दिन बीता है। लेकिन वह ओ पी डी की भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि मानो जिले में कभी लॉकडाउन लगा ही नहीं था। बीके अस्पताल की ओपीडी में महामारी से पहले हर रोज करीब 2000 मरीज़ अपना उपचार करवाने के लिए आते थे।
लेकिन महामारी के दौर में ओपीडी का समय सुबह 9:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक कर दिया गया। जिसके चलते ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में कमी देखी गई और यह संख्या 100 -200 तक हो गई। लेकिन लॉकडाउन को खुले हुए एक ही दिन बीता था।
जिसके चलते ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिला और यह संख्या 1500 तक पहुंच गई यानी अब ओपीडी में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या जो देखी गई है वह गर्भवती महिलाओं और बाल रोग विशेषज्ञ की ओ पी डी के आगे देखी गई है।
क्योंकि गर्मी के दिनों में बच्चे डायरिया का शिकार होते हैं। इसलिए इन दिनों सबसे ज्यादा जो मरीज अस्पताल में देखने को मिलते हैं। वह बच्चे ही होते हैं, इसीलिए बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के बाहर बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा देखी जाती है।
बीके अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास ने बताया कि दिन के समय गर्मी और रात के समय सर्दी होने की वजह से बच्चे ज्यादा संख्या में बीमार हो रहे हैं। इसीलिए उनकी ओपीडी के बाहर हर रोज करीब 200 संख्या में बच्चे उपचार के लिए आते हैं। जिसमें 8 साल से कम उम्र वाले बच्चे ज्यादातर डायरिया के शिकार होते हैं।
क्योंकि इन दिनों शरीर में पानी की कमी होने की वजह से उनको डायरिया हो जाता है। अगर समय रहते डायरिया का उपचार नहीं करवाया गया, तो बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इसीलिए परिजन समय रहते हैं बच्चों को उपचार के लिए अस्पताल ले आते हैं। लेकिन अगर कोई परिजन बच्चे को अस्पताल नहीं ले कर आ सकता है। तो वह घर पर ही बच्चे को दिन में तीन बार ओआरएस का घोल पिलाए, ताकि वह डायरिया से जल्द मुक्त हो सके।