किसानों का सुख : पिछले छह साल में डबल से ज्यादा हुई एमएसपी पर इस फसल को बेचने वाले किसानों की संख्या

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    एक तरफ कुछ किसान नेता देशद्रोहियों के साथ मिलकर आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ किसानों को अपनी फसल के ऊँचे दाम मिल रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को आशंका है कि तीन नए कृषि कानूनों के असर की वजह से धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। लेकिन एमएसपी का पुराना रिकॉर्ड बताता है कि सरकारी खरीद, किसानों को मिलने वाला पैसा और इसके लाभार्थी लगातार बढ़ रहे हैं।

    किसान धीरे – धीरे इसे समझने लगा है कि यह कानून उसके खिलाफ नहीं उसके साथ हैं। पिछले छह साल में ही गेहूं की एमएसपी के लाभार्थी डबल से अधिक हो गए हैं।

    किसानों का सुख : पिछले छह साल में डबल से ज्यादा हुई एमएसपी पर इस फसल को बेचने वाले किसानों की संख्या

    नए कृषि कानूनों की सरकार खूबियां गिनाती रही तो विरोध करने वाले खामियां। भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक रबी मार्केटिंग सीजन 2016-17 में 20,46,766 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा मिला था। जबकि 2021-22 में 9 जून तक 46,32,663 किसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचा। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर किस आधार पर कुछ नेता यह आरोप लगा रहे हैं एमएसपी खत्म हो जाएगी।

    किसानों का सुख : पिछले छह साल में डबल से ज्यादा हुई एमएसपी पर इस फसल को बेचने वाले किसानों की संख्या

    विरोध करने वाले कृषि सुधार कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त होने को लेकर अपनी चिंता जताते रहे जबकि यहां इस दौरान यह निर्मूल साबित हुआ। पिछले दो सीजन से मध्य प्रदेश में सबसे अधिक किसान एमएसपी पर गेहूं बेच रहे हैं। रबी मार्केटिंग सीजन 2020-21 में यहां के 15,94,383 किसानों ने गेहूं बेचा जबकि इस साल अब तक 17,24,218 किसान बिक्री कर चुके हैं।

    किसानों का सुख : पिछले छह साल में डबल से ज्यादा हुई एमएसपी पर इस फसल को बेचने वाले किसानों की संख्या

    मोदी सरकार हमेशा से कहती आयी है कि यह नए कानून किसान के पक्ष में हैं लेकिन फिर भी कुछ लोग अपनी राजनीती चमकाने के लिए लगातार नीचता दिखा रहे हैं।