संघर्ष से भरी है इनकी कहानी, कभी छोड़नी पड़ी पढ़ाई तो कभी छूटा पेपर, कुछ ऐसा रहा इनका UPSC का सफर

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    लगन से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। इसका उदाहरण हैं शेखर कुमार। यह सच है की समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं पर किसी-किसी की ईश्वर कुछ ज्यादा ही परीक्षा लेते हैं। शेखर ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के दौरान और पहले बहुत सी परेशानियों का सामना किया लेकिन अंत तक हार नहीं मानी। अंततः उनकी कठिनाइयों के दिन खत्म हुए जब वे साल 2010 बैच के आईआरएस ऑफिसर बने।

    कई युवा इनसे प्रेरणा ले रहे हैं। इनकी कहानी काफी प्रेरणा देती है। बिहार के एक छोटे से गांव के शेखर के जीवन में तमाम तरह की समस्या आयी जैसे पैसे की किल्लत, परीक्षा छूटना और माता-पिता का एक्सीडेंट। हालात कई बार बहुत ही बुरे हुए लेकिन शेखर ने हर स्थिति को चैलेंज की तरह स्वीकार किया और अपने माता-पिता के प्रोत्साहन से निरंतर आगे बढ़ते गए।

    संघर्ष से भरी है इनकी कहानी, कभी छोड़नी पड़ी पढ़ाई तो कभी छूटा पेपर, कुछ ऐसा रहा इनका UPSC का सफर

    यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं। बिना मेहनत के इसमें कुछ हासिल नहीं होता है। शेखर कहते हैं कि जीवन के बाकी संघर्षों के अलावा उन्हें अपनी भाषा के लेवल पर भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनकी इंग्लिश इतनी खराब थी कि उसे सुधारने में आगे जाकर उन्हें लोहे के चने चबाने पड़े। लेकिन धुन के पक्के शेखर एक बार जो ठान लेते थे वह करके ही दम लेते थे।

    संघर्ष से भरी है इनकी कहानी, कभी छोड़नी पड़ी पढ़ाई तो कभी छूटा पेपर, कुछ ऐसा रहा इनका UPSC का सफर

    यूपीएससी की परीक्षा जो देता है वह पढाई में काफी अच्छा होता है। उसकी सुबह और रात पढाई पर ही समाप्त होती है। शेखर की शुरुआती शिक्षा एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल में हुई और बाद में उन्हें अंग्रेजी स्कूल में डाला गया। माता-पिता खुद बहुत पढ़े नहीं थे लेकिन बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर थे। उन्हीं की प्रेरणा से शेखर और उनके भाई निरंतर हर कक्षा में अच्छा करने की कोशिश करते थे और कई बार सफल भी होते थे।

    संघर्ष से भरी है इनकी कहानी, कभी छोड़नी पड़ी पढ़ाई तो कभी छूटा पेपर, कुछ ऐसा रहा इनका UPSC का सफर

    अगर कुछ हासिल करने की राह पर आप निकले हैं तो संघर्ष से मुलाकात ज़रूर होगी। संघर्ष के बिना सफलता तक पहुंचना बहुत कम लोगों के नसीब में होता है।