किसानों और सरकार के बीच पिछले छःमहीने से लगातार टकराव जारी है। न सरकार हर मानने को तैयार है और न ही किसान। इसलिए किसान नेताओं ने सभी जिलों में महापंचायत का ऐलान किया है।
नेशनल हाईवे पर धरना दे रहे किसानों का कहना है कि अब आंदोलन की गति तेज होगी। किसान संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि जिले के किसानों की महापंचायत के बाद किसान नेता उत्तर प्रदेश की ओर प्रस्थान करेंगे। भाजपा सरकार को हराने के बाद वे कृषि कानूनों को रद्द कराकर एमएसपी गारंटी बिल बनवाने के लिए काम करेंगे।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को छः महीने बीत चुके हैं। अब किसान नेता नेशनल हाईवे पर स्थित अंटोहा चौक पर चल रहे किसान आंदोलन की रफ्तार तेज करने वाले है। किसान संघर्ष समिति द्वारा एक बैठक आयोजित की गई जिसमें उन्होंने यह निर्णय लिया कि जिले के किसानों की महापंचायत के बाद सभी किसान नेता उत्तर प्रदेश की तरफ रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वे वहां की भाजपा सरकार को हराने और केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कराकर व एमएसपी गारंटी बिल बनवाने के लिए काम करेंगे।
किसान नेता रत्न सिंह सौरोत ने कहा कि वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। वे यूपी के घर–घर जाकर लोगों को अपना दुखड़ा सुनायेंगे। इससे लोग किसानों को अपना सहयोग देंगे।
आपको बता दे कि किसान आंदोलन को छः महीने से ज्यादा हो गया है। केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों की संख्या में पंजाब के किसान सड़को पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे, इसमें महिलाएं, युवाओं और छात्रों ने भी अपना समर्थन दिया। दिल्ली घटना के बाद पंजाब के अधिकतर किसान घर चले गए और किसान आंदोलन धीरे–धीरे कमजोर होता गया। परंतु किसानों का हौंसला कायम रहा और हरियाणा व यूपी के किसानों ने मोर्चा संभाला जिससे आंदोलन पूरी तरह बदल गया।
किसानों का कहना है कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा और अब हम पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गए हैं। इसलिए सरकार किसी भी प्रकार की गलतफहमी में न रहे।