यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं। बिना मेहनत के इसमें कुछ हासिल नहीं होता है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति की फिजिकल और मेंटल हेल्थ अच्छी होनी चाहिए। फिर चाहे वह कोई परीक्षा हो या कोई खेलकूद का कांपटीशन। अगर दिमाग शांत है और व्यक्ति स्ट्रेस में नहीं है तो उसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है।
हमें किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए फोकस नहीं छोड़ना होता है। अगर फोकस छोड़ा तो लक्ष्य छूट जाता है। कई बार बाहरी घटनाओं की वजह से हमारा सुकून छिन जाता है और हम स्ट्रेस में आ जाते हैं। एक स्ट्रेस्ड दिमाग कभी भी अपने गोल नहीं पा सकता। विडंबना यह है कि बाहर होने वाली बहुत सी घटनाओं पर हमारा नियंत्रण भी नहीं होता।
इन सब परिस्थियों में दिमाग का चैन गायब रहता है। सुकून कहीं नहीं होता है। ऐसे में आखिर कोई कर तो क्या करे। कुछ ऐसी ही या इससे भी बुरी स्थिति थी मोगा, पंजाब की रितिका जिंदल की। रितिका के पिता को कैंसर था जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। जाहिर सी बात है पिता से इमोशनल अटैचमेंट और उनकी तकलीफ रितिका को बार-बार परेशान करती थी पर रितिका भी इरादे की पक्की थी।
अगर कुछ हासिल करने की राह पर आप निकले हैं तो संघर्ष से मुलाकात ज़रूर होगी। संघर्ष के बिना सफलता तक पहुंचना बहुत कम लोगों के नसीब में होता है।उन्होंने अपने जीवन की इन परेशानियों को कभी भी रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया और मात्र 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा में 88वीं रैंक के साथ टॉप किया।
जिंदगी कितनी भी मुश्किलें दें पर हमें हर हाल में मुस्कुराते रहना चाहिए। अगर गम मनायेगें तो कभी सफल नहीं हो पाएंगे। रितिका सलाह देती हैं कि जीवन में जब कभी चुनौतियां आएं तो उनसे घबराएं नहीं, न अपने कदम पीछे करें। लाइफ में क्या होगा इस पर आपका वश नहीं है पर उस कंडीशन में आप कैसे रिएक्ट करेंगे इस पर आपका वश है।