पिछले 2 साल से महामारी का दौर चल रहा है, जिसकी वजह से सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। क्योंकि महामारी के दौर में जहां उनकी नौकरियां चली गई है, वहीं उनके बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे और बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके पास स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है।
जिसकी वजह से उनके बच्चों की शिक्षा पूर्ण रूप से छूट गई है। जिसकी वजह से उन्होंने वापस अपने राज्य अपने गांव में प्लान करना शुरू कर दिया है। इसी वजह से उन प्रवासी मजदूरों के बच्चे के द्वारा पढ़ाई छोड़ दी गई है। महामारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों की शिक्षा पर देखने को मिला है।
क्योंकि महामारी के दौर में जहां लोगों की नौकरी चली गई है, वहीं स्कूल भी बंद हो गए हैं। जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाई पर काफी असर हुआ है और इसी वजह से कई बच्चों ने अपनी पढ़ाई भी पूर्ण रूप से छोड़ दी है। अगर बात करें तो प्रदेश के सभी स्कूलों से करीब 18% यानी 3.5 लाख बच्चों के द्वारा स्कूल छोड़ दिया गया है जिसमें से करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जिन के छात्रों की संख्या 20% तक डाउन हो चुकी है।
निदेशालय के द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को सख्त दिशा निर्देश जारी किए थे। महामारी के दौरान जिन बच्चों ने स्कूल छोड़ा है, उनसे संपर्क किया जाए। लेकिन उसके बावजूद भी उन बच्चों की तलाश नहीं किए गए। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि बहुत सारे परिवार पलायन कर चुके हैं।
इसी वजह से उनके बच्चों ने स्कूल को जोड़ दिया है। हम आंकड़ों की बात करें तो फरीदाबाद जिले में साल 2020-21 में 114067 था। वहीं साल 2021- 22 की बात करो तो यह संख्या घटकर 93300 रह गई है। यानी 20767 बच्चों के द्वारा स्कूल छोड़ दिया गया है। करीब 21% बच्चों डेढ़ साल में स्कूल छोड़ा है।
तीसरे नंबर पर है अपना जिला
आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा बच्चे चरखी दादरी और झज्जर स्कूल से छोड़कर गए हैं यानी 23% बच्चे इन दोनों जिलों से स्कूल ड्राप कर चुके हैं। वहीं अगर हम भिवानी, रोहतक व सोनीपत से बात करें तो उनकी संख्या भी 22% रही है।
इसके अलावा फरीदाबाद, महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी में पढ़ने वाले 21% बच्चे को स्कूल छोड़ चुके हैं। पानीपत से 20%, जींद से 19%, गुरुग्राम,हिसार, पलवल व यमुनानगर से 18%, अंबाला, कैथल, करनाल व कुरुक्षेत्र से 16%, सिरसा से 15%, फतेहाबाद से 14%, पंचकूला से 13% और नूह मेवात से 11% बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं।