प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशहित के लिए एक बार फिर डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक कर दी. इस बार की सर्जिकल स्ट्राइक देश के बाहर ना होकर देश के अंदर उन लोगों के खिलाफ है जो घर में बैठकर देश को आंखें दिखा रहे थे. इस बात सुनो ना यह साबित कर दिया कि उनके उनके देश के ऊपर कुछ नहीं है और वह हल्के में किसी भी बात को जाने नहीं देते. और इस सर्जिकल स्ट्राइक के कमांडर बने योगी आदित्यनाथ.
कल यानी मंगलवार को गाजियाबाद से एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें यह कहा जा रहा था कि एक मुस्लिम बूढ़े को पकड़ा गया फिर उसकी दाढ़ी काटी गई और फिर इसके बाद उससे जय श्रीराम के नारे लगवाए गए. हालांकि उस वीडियो में कोई आवाज नहीं थी पर फिर भी कुछ लोगों ने जबरदस्ती यह अफवाह फैला दी.
इस अफवाह के बाद सोशल मीडिया पर सरकार और हिंदुत्व को लेकर बहुत सारे नारेबाजी हुई और इसका सीधा टारगेट उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ थे. क्योंकि 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाली है और इस वीडियो का मकसद मुस्लिम वोटरों को एकजुट कर अपने खेमे में लाना था.
जब फैक्ट चेक किया गया तो बूढ़े को मारने वाले उसके ही पहचान वाले निकले तो वहीं दूसरी ओर उसे मारने वालों हैं मुस्लिम लोग भी मौजूद थे. तो ऐसी स्थिति में योगी आदित्यनाथ कहां रुकने वाले थे. उन्होंने उन सभी पर एफआईआर कर दिया जिन्होंने इस अफवाह को फैलाई थी.
इनमें मिस्टर मोहम्मद जुबेर, मिरा राना अय्यूब, मिस्टर सलमान निजामी, मिस्टर मकसूद उस्मानी, डॉक्टर समा मोहम्मद, मिस समा नक्की के साथ-साथ टि्वटर और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट पर भी केस ठोक दिया है.
आईटी एक्ट के तहत मिला सुरक्षा कवच छिना
वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी सरकार ने ट्विटर को आईटी एक्ट के तहत जो सुरक्षा कवच मिला था उसे छीन लिया है. जिससे वह खुद को हर बार बचा पाते थे. इस एक्ट के तहत यह कहा गया था कि अगर कोई गैरकानूनी चीज ट्विटर फेसबुक या व्हाट्सएप या कोई भी सोशल मीडिया के द्वारा लोगों के बीच फैलती है तो इसे फैलाने वाले पर दर्ज किया जाएगा ना कि इन सोशल मीडिया पर.
नरेंद्र मोदी ने अपने इस सर्जिकल स्ट्राइक में ट्विटर को सबसे पहले कानूनी खाका भी तैयार करके दिया था और कहा था कि वह इससे मान ले लेकिन ट्विटर ने इसे साफ तौर पर मानने से इनकार कर दिया. जिसके बाद नरेंद्र मोदी और उनके कमांडर बने योगी आदित्यनाथ ने इस खेल को खेला और विदेशी कंपनियों की बोलती बंद कर दी.