मजदूरी करने वाली ये महिलाएं अब हर महीने, ऐसे कमा रहीं 15 से 20 हजार रुपए

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    समय बदलते देर नहीं लगती है। आपको बस कुछ चीज़ों में बदलाव करना होता है और सबकुछ ठीक होने लगता है। आठवीं और मैट्रिक पढ़ी ग्रामीण क्षेत्रों की ये महिलाएं अपनी बदलाव की कहानियाँ गाँव-गाँव जाकर उन महिलाओं को बताती हैं जो अब तक स्वयं सहायता समूह से नहीं जुड़ी हैं। ये उन महिलाओं को भी प्रशिक्षित करती हैं जो इन समूहों की जिम्मेदारी संभाल सके। इन्हें इसका मेहनताना मिलता है जिससे ये आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भर बन गयी हैं।

    इन महिलाओं की बदौलत गांव की दूसरी महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनने को अग्रसर हो गयी हैं। गाँव में रहकर मेहनत मजदूरी करने वाली ये महिलाएं आज सखी मंडल से जुड़कर सफल प्रशिक्षक बन गयी हैं। साधारण दिखने वाली महिला सुगिया लोहरा आज मास्टर ट्रेनर हैं। ये सक्रिय महिला, समूह की अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव को प्रशिक्षित करती हैं जिनका इन्हें एक दिन का 1,000 रुपए मिलता है।

    मजदूरी करने वाली ये महिलाएं अब हर महीने, ऐसे कमा रहीं 15 से 20 हजार रुपए

    महिलाओं की लगन और मेहनत ने इस सखी मंडल को अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है। इन प्रशिक्षक महिलाओं में से कोई समूह गाँव-गाँव जाकर गरीब महिलाओं को समूह से जोड़ने के लिए प्रेरित करता तो कोई उन महिलाओं को प्रशिक्षित करता है जो समूह में विभिन्न पदों पर तैनात हैं। सुगिया कहती हैं, महीने में जितने दिन ट्रेनिंग रहती है उतना पैसा कमा लेते हैं। बाकी दिनों में सब्जी का बिजनेस करते हैं जिससे रोज के खर्चे निकल जाते हैं।

    मजदूरी करने वाली ये महिलाएं अब हर महीने, ऐसे कमा रहीं 15 से 20 हजार रुपए

    कभी गरीबी से जूझने वाली गांव की महिलाएं आज हुनरमंद बन गुरबत को हरा चुकी हैं। वह बताती है, मेरी बेटियां आज अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। एक बेटी की शादी भी कर दी। सुगिया के लिए अकेले दम पर ये सब करना इतना आसान नहीं था लेकिन वर्ष 2012 में खुशबू किरन ज्योति स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद जब इन्हें स्वयं सहायता समूह का साथ मिला तो इनके हालात सुधरने लगे।

    मजदूरी करने वाली ये महिलाएं अब हर महीने, ऐसे कमा रहीं 15 से 20 हजार रुपए

    यह महिलाएं अपनी मेहनत से लगातार अपनी आर्थिक स्थिति को बदल रही हैं। सुगिया जब दूसरी महिलाओं को अपनी आप बीती बताती हैं तो महिलाओं में उत्साह जगता है। वो समूह में जुड़कर खुद की गरीबी को सुगिया की तरह खत्म करना चाहती हैं।