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ग्रामीण महिलाओं ने किया चमत्कार, कुछ इस तरीके से कम लागत में खेती कर ले रहीं अच्छा मुनाफा

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ग्रामीण महिलाएं भी अब आत्मनिर्भर होने लगी हैं। लगातार वह सराहनीय काम कर रही हैं। जो महिलाएं कल तक मजूदरी करती थीं वो आज उनकी पहचान सफल किसान के रूप में है। ये खेती की जानकार महिलाएं अब अपने क्षेत्र की महिलाओं को खेती करने का हुनर कम लागत में सिखा रही हैं। इन महिलाओं की मदद से झारखंड में तीन लाख से ज्यादा महिला किसान कम लागत में खेती कर मुनाफे की फसल काट रही हैं।

मजदूरी करने वाली महिलाएं आज खेती से अच्छा कमा रही हैं। यह सफलता उन्होंने खुद हासिल की है। रांची की निभा देवी ये भली-भांति जानती हैं कि खेती की लागत कैसे कम की जाए। निभा के पास खुद की जमीन तो नहीं है लेकिन अपने पड़ोसी की खाली पड़ी जमीन जिसे वो बेकार समझते थे आज निभा उसमें सब्जियां उगा रही हैं।

ग्रामीण महिलाएं बन गईं खेती की जानकार, कम लागत में खेती कर ले रहीं अच्छा मुनाफा

कई महिलायों को यह महिलायें अपने साथ जोड़ रही हैं। इनका एक ही मकसद है कि अच्छी ज़िंदगी जिए। निभा कहती हैं, खेती करने के मेरे शौक को देखते हुए मुझे आजीविका कृषक मित्र की ट्रेनिंग दी गयी। एक साल बाद मैं सीनियर आजीविका कृषक मित्र बन गयी। अभी मेरी देखरेख में 350 किसान जैविक तरीके से खेती करते हैं और आठ आजीविका कृषक मित्र जो किसानों को ट्रेनिंग देते हैं।

ग्रामीण महिलाओं ने किया चमत्कार, कुछ इस तरीके से कम लागत में खेती कर ले रहीं अच्छा मुनाफा

उनके गांव में ज़्यादातर महिलाएं मजदूरी करती थीं जो आज खेती की तरफ आ रही हैं। निभा के आसपास रहने वाले किसानों को अपनी शुद्ध ताजी जैविक सब्जियां बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ता। क्योंकि निभा घर बैठे इनकी सब्जियां खरीदती हैं और फिर उसे रांची में आजीविका फ्रेस नाम की बाजार में बिकने के लिए भेज देती हैं। निभा रांची जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के बीसा गाँव की रहने वाली हैं।

ग्रामीण महिलाओं ने किया चमत्कार, कुछ इस तरीके से कम लागत में खेती कर ले रहीं अच्छा मुनाफा

वक़्त बदलते कभी देर नहीं लगती है। आपका हौसला बुलंद होना चाहिए, आपके सपनों में जान होनी चाहिए। निभा की तरह झारखंड में 5,000 से ज्यादा महिलाएं आजीविका कृषक मित्र हैं। जो खुद तो जैविक तरीके से मिश्रित खेती करती ही हैं साथ ही अपने आसपास के सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षित भी करती हैं।

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