Homeइस धान की खेती से कुछ ही महीनों में हो जाएंगे मालामाल,...

इस धान की खेती से कुछ ही महीनों में हो जाएंगे मालामाल, इसकी विदेशों में हो रही खूब डिमांड

Published on

खेती-बाड़ी में हाथ तो बहुत से लोग आज़माना चाहते हैं लेकिन सही जानकारी होने के कारण अपना हाथ पीछे खींच लेते हैं। काला नमक धान की खेती किसानों के लिए कमाई के लिहाज से वरदान साबित हो रही है। राइस की यह किस्म आज पूर्वांचल की एक नई पहचान बनकर उभरी है। यही वजह हैं कि इस साल इसकी खेती का रकबा काफी बढ़ने की संभावना है। इस खास किस्म को पूर्वांचल के 11 जिलों में जीआई टैग प्राप्त हो चुका है।

वहां के ज़्यादातर किसान इसी में आपने हाथ आज़मा रहे हैं और खेती कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन जिलों में इस वर्ष लगभग 50 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती की जाएगी। अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर चावल की इस किस्म को कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी ने विशेष ख्याती दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका कहना हैं कि जीआई टैग मिलने के बाद इस किस्म की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

इस धान की खेती से कुछ ही महीनों में हो जाएंगे मालामाल, इसकी विदेशों में हो रही खूब डिमांड

काला नमक चावल महोत्सव ने भी इसे खास पहचान दिलाई है। काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए जाने-माने कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी 1997 से काम कर रहे हैं। प्रो. चौधरी का कहना हैं कि जीआई टैग मिलने के कारण इस किस्म को खास पहचान मिली है। ,पूर्वांचल में 2009 तक लगभग 2 हजार हेक्टेयर जमीन में ही काले नमक चावल की खेती होती थी। वर्तमान में पूर्वांचल में इसका रकबा 45 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

इस धान की खेती से कुछ ही महीनों में हो जाएंगे मालामाल, इसकी विदेशों में हो रही खूब डिमांड

जीआई टैग का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है। सिद्धार्थ नगर क्षेत्र में इसका सबसे ज्यादा रकबा है। उन्होंने बताया है कि चावल की इस किस्म का रकबा 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। चावल की यह खास किस्म किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है।

इस धान की खेती से कुछ ही महीनों में हो जाएंगे मालामाल, इसकी विदेशों में हो रही खूब डिमांड

इसकी तरफ कई किसानों का रुझान बढ़ा है। अच्छी कमाई इससे होती है। इसकी कीमत बासमती राइस से भी अधिक होती है। चावल की इस किस्म का नाम काला नमक किरण है जिससे प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है।

Latest articles

Faridabad के प्रॉपर्टी डीलर के साथ अपने ही घर में हुआ कुछ ऐसा कि, सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह

इन दिनों शहर का क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है, अपराधी अपराध करने के...

हरियाणा का दूल्हा बड़े ही फिल्मी स्टाइल में लेने पहुंचा अपनी दुल्हन, पड़ोसी देख कर हो गए दंग

वेडिंग सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में दूल्हे घोड़े पर सवार होकर अपनी...

Haryana की 106 साल की रामबाई करेंगी ये काम, जानकर आप भी हो जाएंगी दंग

इंसान 50 की उम्र तक आते आते कमजोर होने लगता है, धीरे धीरे उसके...

Faridabad के इस कार्यालय की जल्द होगी मरम्मत, नगर निगम ने उठाया जिम्मा

इन दिनों नगर निगम बल्लभगढ़ जोन के कार्यालय की स्थिति बेहद खराब हैं। छत...

More like this

Faridabad के प्रॉपर्टी डीलर के साथ अपने ही घर में हुआ कुछ ऐसा कि, सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह

इन दिनों शहर का क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है, अपराधी अपराध करने के...

हरियाणा का दूल्हा बड़े ही फिल्मी स्टाइल में लेने पहुंचा अपनी दुल्हन, पड़ोसी देख कर हो गए दंग

वेडिंग सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में दूल्हे घोड़े पर सवार होकर अपनी...

Haryana की 106 साल की रामबाई करेंगी ये काम, जानकर आप भी हो जाएंगी दंग

इंसान 50 की उम्र तक आते आते कमजोर होने लगता है, धीरे धीरे उसके...