महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में हर किसी ने अपने मुताबिक समय बिताया। किसी ने परिवार को समय दिया किसी ने खेती को। महामारी के काल में लोग घरों में दुबके हुए थे लेकिन हमीरपुर जिला के भोरंज उपमंडल की भौंखर पंचायत के मैरा गांव के सात परिवार खेतों में कड़ी मेहनत कर रह थे। इसका नतीजा यह निकला कि आज मैरा के किसानों के खेतों में उगी सब्जियों की मांग बाजार में बढ़ रही है।
इस किसान ने इतनी कड़ी मेहनत की है कि उसके परिवार वाले खुद बोलते रहे कि “खेत से अब तो घर आजा” हमीरपुर और बिलासपुर की सीमा से सटे गांव मैरा में एक नाला बहता है जिसमें सालभर पानी रहता है। किसानों की मांग पर पंचायत ने पांच लाख रुपये की लागत से मनरेगा के तहत चेकडैम का निर्माण करके पानी की एक-एक बूंद को सहेज कर स्टोर कर लिया है।
लॉकडाउन में समय की कोई कमी नहीं थी। किसी ने उस समय को व्यर्थ किया तो किसी ने उसका उपयोग किया। यहां चेकडैम समतल भूमि पर है लेकिन किसानों ने चेकडैम के पानी को पाइप से कुएं में डालकर सूखे कुएं को पानी से लबालब भर दिया है। कुएं से पानी को मोटरों के माध्यम से उठाकर खेतों में बनी हौदियों में डाल कर सिचाई की जा रही है।
कड़ी मेहनत से उन्होंने खेतों का नजरिया बदल दिया है। मैरा गांव में सात परिवार हैं। समस्त ग्रामीण सब्जी उत्पादन के कार्य में जुट गए हैं। तीन किसान भौंखर पंचायत के उपप्रधान नवीन कुमार, संजीव कुमार व राम प्रकाश की करीब 150 कनाल भूमि पर पहली बार गर्मी के मौसम में लौकी, खीरा, करेला, कद्दू, घिया व भिंडी की खेती करके सूखी भूमि को हरियाली में बदल दिया है।
कमाई भी अच्छी हो रही है। पहले इतनी कमाई नहीं होती थी। अपनी कड़ी मेहनत से यह मुकाम इन्होनें हासिल किया है। इन खेतों में उगी सब्जी 30 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से स्थानीय बाजार लदरौर में बिक रही है। तीनों किसानों को उम्मीद है कि प्रत्येक किसान को पांच-पांच लाख रुपये की आमदनी होगी। जैविक खाद से तैयार हो रही सब्जी को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं।