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आर्थिक तंगी से परेशान होकर पहलवानों ने जीवन यापन के लिए अपनाया यह तरीका

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महामारी के कारण कई पहलवान अपने-अपने घरों में बैठ गए। एक खिलाड़ी को हर रोज अच्छे खुराक की जरूरत होती है और यह बहुत महंगी भी होती है। इस कारण खिलाड़ी दूसरे काम–धंधे ढूंढ रहे हैं।

हरियाणा के पहलवानों ने जिस प्रकार दंगलों में अपना दम दिखाया, वह सराहनीय है। परंतु उन्हें अब जीवन यापन करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के कारण प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से दंगल और सभी प्रकार प्रतियोगिताएं बंद है। इस कारण पहलवानों की आय भी बंद हो गई है। हालत इतनी खराब हो गई कि पहलवानो को खेल छोड़ कर घर बैठना पड़ा। इनमें से कुछ पहलवानों ने तो अन्य रोजगार की तलाश भी कर ली है।

आर्थिक तंगी से परेशान होकर पहलवानों ने जीवन यापन के लिए अपनाया यह तरीका

अधिकतर पहलवान अपने माता पिता के साथ खेती के कार्यों में मदद कर रहे हैं। देश के लिए मेडल लाने वाले पहलवान अब सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं। प्रदेश में अखाड़ों की संख्या सैकड़ों में है और पहलवानों की हजारों में।

आर्थिक तंगी से परेशान होकर पहलवानों ने जीवन यापन के लिए अपनाया यह तरीका

करनाल के खेड़ी मान सिंह गांव के अखाड़ा संचालक का कहना है कि उनके पास अभी 30 पहलवान है। वे दंगल व अन्य प्रतियोगिताओं से लगभग 20–25 हजार रुपए कमा लेते थे। परंतु महामारी के कारण पिछले डेढ़ साल से कोई प्रतियोगिता नहीं हुई। इस वजह से पहलवानों को मजबूरी में अन्य कार्य करने पड़ रहे हैं। कुछ तो अपने खेतों में काम कर रहे हैं।

पहलवानों ने बताया कि इसके कारण उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है। हर साल भारत सरकार द्वारा भारत केसरी दंगल का आयोजन किया जाता है। महामारी की वजह से ये भी बंद कर दिया गया है।

आर्थिक तंगी से परेशान होकर पहलवानों ने जीवन यापन के लिए अपनाया यह तरीका

गांव बड़ौता के अखाड़ा संचालक का कहना है कि महामारी के चलते कई खिलाड़ी अपने घरों में बैठ गए। खिलाड़ी जो खुराक लेते हैं वह बहुत महंगी होती है। लेकिन महामारी के कारण उनके पास कोई आय का स्त्रोत नहीं है। इसलिए उनको दूसरे काम करने पड़ रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार को खिलाड़ियों के लिए एक पॉलिसी बनानी चाहिए ताकि वे अपनी तैयारियां जारी रख सकें और उनके जीवन यापन में कोई परेशानी न आए। उन्होंने कहा कि हमारे अखाड़े से कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।

आर्थिक तंगी से परेशान होकर पहलवानों ने जीवन यापन के लिए अपनाया यह तरीका

हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हरियाणा के जूनियर, सब–जूनियर व यूथ कैटेगरी के तहत विजेताओं को नकद इनाम दिया जाता है। प्रदेश सरकार खिलाड़ियों के लिए लगातार बेहतर नीतियां ला रही है। जहां तक दंगल की बात है तो वे महामारी के कारण अभी नहीं कराए जा सकते। खिलाड़ियों की जान की सुरक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण है। यह लड़ाई हम सबको मिलकर लड़नी है।

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