कहते हैं कि किसान अन्नदाता होता है यानी अगर किसान खेती नहीं करेगा तो देश के लोग भूखे मर जाएंगे। उन्हीं किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर सरकार के द्वारा समय-समय पर राशि दी जाती है। लेकिन वह राशि उनको खेती करने के लिए नहीं बल्कि खेत में ऐसी चीज उगाने के लिए दी जाती है।
जिससे लोगों को तो फायदा होता ही है साथ ही सरकार को भी फायदा होता है। इसी के तहत किसानों के लिए सरकार एक योजना लेकर आई है। जिसमें उन्होंने किसानों से कहा है कि अगर वह इस बार बाजरे की बुवाई नहीं करते हैं तो सरकार की ओर से उनको 4000 रूपए एकड़ दिए जाएंगे।
फरीदाबाद जिले में भी करीब 118 गांव है। इसमें सैकड़ों की संख्या में किसान बाजरे की बुवाई करते हैं। लेकिन इस स्कीम के तहत अगर कोई किसान बाजरे की बुवाई नहीं करता है, तो सरकार की ओर से उसको ₹4000 प्रति एकड़ दिए जाएंगे। इससे पहले सरकार के द्वारा धान की खेती नहीं करने वाले किसानों को ₹7000 प्रति एकड़ दिए गए थे।
जिसके बाद से धान की जो पैदावार थी वह कम हो गई थी। इसलिए इस बार बाजरे की खेती को लेकर यह योजना बनाई गई है। क्योंकि प्रदेश में बाजरे की जो पैदावार है वह बहुत ज्यादा है। लेकिन उसकी खपत बहुत कम है। इसीलिए सरकार के द्वारा किसानों से कहा गया है कि वह इस बार बाजरे की बुवाई की बजाए दलहन और कपास की बुवाई करें।
हरियाणा में जो बाजरा के रेट है वह दूसरे राज्यों से काफी ज्यादा है। इसलिए दूसरे राज्य के किसान भी यहां पर आकर बाजरे की बिक्री करते हैं। जिससे हरियाणा सरकार को 700 से 800 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ता है।
इसीलिए वह इस बार किसानों से गुजारिश कर रहे हैं कि खेतों में बाजरे की बजाय दलहन और कपास की खेती की जाए। अगर किसान ऐसा करते हैं तो उनको सरकार की ओर से 4000 रूपए प्रति एकड़ दिए जाएंगे। इसके अलावा प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाते हैं, तो आने वाले 3 साल तक सरकार के द्वारा उनको 10000 रूपए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाएंगे।