महामारी ने इंसानों का रहना – सहना सब बदल दिया है। दूसरी लहर का प्रकोप अभी तक लोगों के दिलों में खौफ बनकर ज़िंदा है। संक्रमण ने देश को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है। लोगों का अस्पताल तक पहुंचने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल रही थी। लेकिन कुछ सामाजिक लोगों की वजह से परेशानियां दूर हो रही है। ऐसे ही लोगों में केरल कोच्ची नजीब वेल्लक्कल शामिल है। जिन्होंने एंबुलेंस की कमी को दूर करने के लिए अपने सभी वाहनों को एंबुलेंस में तब्दील करवा दिया।
अभी मामले बेशक कम हुए हों लेकिन खतरा नहीं टला है। आपको सतर्क रहने की ज़रूरत है। नजीब वेल्लक्कल बताते है कि वह ट्रांसपोर्ट का काम करते है। उनका स्टाफ भी पॉजिटिव हो गया था। लेकिन उनके स्टाफ को अस्पताल तक पहुंचने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। काफी प्रयास किया, लेकिन अंत में सब बेकार।
दूसरी लहर ने ऐसा कहर मचाया कि ऑक्सीजन से लेकर एंबुलेंस हर चीज की किल्लत होने लगी। उस समय कोई भी एंबुलेंस खाली नहीं थी। अंत में उन्होंने अपने एक वाहन को ही एंबुलेंस में बदलवाकर अपने स्टाफ को अस्पताल पहुंचाया। नजीब बताते है कि वह उस दिन सोचने पर मजबूर हो गए कि जब उनके स्टाफ को इतनी परेशानी हो रही है तो कोरोना पाजिटिव आम लोगों को कितनी परेशानी होती होगी। एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण भटकना पड़ता होगा।
परेशानियों को समझ कर इन्होने इस कदम को उठाया और लोगों की मदद की। नजीब बताते है कि उनके इस काम में ड्राइवरों ने भी काफी साथ दिया। वह सभी एंबुलेंस चलाने के लिए तैयार हो गए। वह बताते है कि वह मरीज के परिजनों से केवल पेट्रोल की कीमत ही वसूलते है। नजीब को इस नेक के लिए मेयर और रिजनल ट्रांसपोर्ट मंत्री से भी सराहना मिल चुकी है।
मानवता की मिसाल इन्होने पेश की है। इनके कर्मचारी इन्हे दिल से धन्यवाद दे रहे हैं। महामारी का साया है इससे बचना ज़रूरी है। तीसरी लहर का अंदेशा है इससे निपटना ज़रूरी है।