लॉकडाउन के बाद अब दूसरी परेशानी मजदूरों को मानसून आने के कारण हो रही है। मानसून ने जैसे ही प्रदेश में दस्तक दी वैसे ही अब मजदूर पलायन कर रहे हैं। ईट के भट्टों पर काम करने वाले गरीब मजदूर पूरे साल भर मेहनत करते हैं और मानसून आने पर वह बेरोजगार हो जाते हैं।
मानसून आने पर अगर कोई वर्ग प्रभावित होता है तो वह मजदूर वर्ग है। दरअसल इस बार मॉनसून जल्द ही प्रदेश में आएगा और जिससे ईट भट्टों पर काम करने वाले मजदूर वर्ग को प्रभावित करेगा। आपको बता दें की इन मजदूरों के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है तो वह किस तरीके से अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे।
हमने इस संदर्भ में भट्टे के मालिक से बात की उन्होंने बताया की बारिश के कारण सभी कच्ची ईंट जो कि मजदूरों द्वारा बनाई जाती है। वह खराब हो जाती हैं। मुंशी जो कि भट्टे पर ही हिसाब किताब देखते हैं वह कच्ची ईंटों की गिनती करते हैं। अगर गिनती करने से पहले बारिश आ जाती है और सारी ईटें खराब हो जाती हैं तो वह मजदूरों की खराब होंगी।
और उन्हें दोबारा से ईट बनानी पड़ेगी। इसलिए हम नहीं चाहते कि उनकी सारी मेहनत खराब जाए और उन्हें एक 1 महीने की सैलरी के साथ मॉनसून रहने तक अपने गांव भेज दिया जाता है। जैसा कि आपको पता है की भट्टों पर काम करने वाले मजदूर अब घर की ओर रवाना हो रहे हैं।
बिहार निवासी सतीश ने बताया की अब जैसे जैसे बारिश शुरू होगी वैसे वैसे हमारा जो काम है वह खत्म हो जाएगा। जिसके चलते हम बेरोजगारी की कगार पर आ जाएंगे। और हमने पहले ही काफी सारी ईट बनाने का काम कर लिया है। जो भी व्यक्ति मकान बनाना चाहता है उसे ईटों की कमी नहीं होगी।
वहीं रवि ने कहा कि यहां मालिक ने हमारा पूरे साल लॉकडाउन में भी साथ दिया है। अब जब मानसून आ रहा है और ईट के भट्टे बंद हो जाएंगे तो हम उससे सैलरी लेकर व अपनी मजदूरी लेकर बोझ नहीं बनना चाहते इसलिए आज हम कुछ ही समय में आने वाली रेल से अपने निवास छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो जाएंगे।