हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार निर्जला एकादशी 21 जून को मनाई जा रही है। वैसे तो हर महीने में दो बार एकादशी आती है। लेकिन इस एकादशी का विशेष महत्व होता है। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसे भीमसेन, पांडव और भीम एकादशी के नाम से जाना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
एनआईटी पांच स्थित श्री तत्कालेश्वर मंदिर के पंडित मनोज कौशिक के अनुसार पूरे साल में 24 एकादशी होती है और सभी का अपना अपना महत्व होता है। लेकिन इन सभी में निर्जला एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को बाकी 23 एकादशियों का व्रत करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
पंडित मनोज कौशिक के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को बिना पानी पिएं रहना होता है। व्रत करने वाला व्यक्ति अगले दिन पारण करता है। इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को करने से लंबी और आरोग्य आयु की प्राप्ति होती है।
कौशिक के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन पानी का बहुत महत्व होता है। इस दिन शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन बहुत से लोग जगह जगह पर लोगों को शरबत भी पिलाते हैं। इसके अलावा एकादशी के दिन ब्राह्मणों को जूते दान करना बहुत शुभ माना जाता है। एकादशी के दिन अन्नदान, छाता दान, बिस्तर दान, वस्त्र दान का भी विशेष महत्व होता है।
उन्होंने ने बताया कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। और तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है। शाम के वक्त तुलसी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर विष्णु का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
निर्जला एकादशी पर न करें ये काम
पंडित मनोज कौशिक ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हाेती है। इस दिन व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष को दशमी वाले दिन मांस, प्याज तथा मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए। एक दिन पहले से ही चावल का त्याग कर देना चाहिए और व्रत करने से पहले शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि व्रत वाले दिन यदि शरीर स्वस्थ्य हो तो जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले को एकादशी वाले दिन पेड़ से तोड़ी हुई लकड़ी की दातुन नहीं करनी चाहिए और पेड़ से पत्ता या लकड़ी भी नहीं तोड़नी चाहिए।