UPSC में दो बार फेल हुए तो तैयारी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन सिर्फ इस बड़ी वजह से ऐसे बने IAS

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    अक्सर ज़िंदगी में हम बहुत जल्दी हार मान लेते हैं। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। यूपीएससी की तैयारी करते वक्त असफलता मिलने पर कभी निराश नहीं होना चाहिए। इस सफर के दौरान खुद को मोटिवेट रखना काफी जरूरी होता है। यही मोटिवेशन आपकी सफलता का कारण बनता है। आज आपको आईएएस अफसर बनने वाले राघव जैन की कहानी बताएंगे, जो कभी असफलताओं से निराश होकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी छोड़ने का फैसला कर चुके थे।

    उनके पास निराशा के अलावा कुछ नहीं था। हौसला उनका काफी बुलंद था। उनकी कहानी ऐसे लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक है जो इस वक्त असफलता से जूझ रहे हैं।

    UPSC में दो बार फेल हुए तो तैयारी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन सिर्फ इस बड़ी वजह से ऐसे बने IAS

    आपको असफलता से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। सफलता आपके नज़दीक होती है जब तक असफल होते हैं। राघव ने इंटरमीडिएट के बाद बीकॉम और उसके बाद एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया। इसके लिए वे दिल्ली चले गए और यहां 6 महीने कोचिंग की। इस दौरान उन्होंने परीक्षा का फॉर्मेट और तैयारी का तरीका जान लिया। इसके बाद वे वापस लुधियाना चले गए और वहीं रहकर तैयारी की।

    UPSC में दो बार फेल हुए तो तैयारी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन सिर्फ इस बड़ी वजह से ऐसे बने IAS

    यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। उनका मानना है कि सेल्फ स्टडी की बदौलत ही आप यूपीएससी में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जब राघव ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो उन्होंने प्री-परीक्षा पास कर ली, लेकिन मेंस में अटक गए।

    कई युवा इन से प्रेरणा ले रहे हैं। इनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है। पहले प्रयास में मेन्स तक पहुंचने से उनका कॉन्फिडेंस काफी बढ़ गया। दूसरे प्रयास में वे प्री-परीक्षा में फेल हो गए, जिससे उनका कॉन्फिडेंस काफी लो हो गया। इस दौरान उन्होंने भविष्य में परीक्षा ना देने का फैसला किया। हालांकि परिवार और दोस्तों ने उन्हें सपोर्ट किया और एक बार और प्रयास करने के लिए मनाया।

    UPSC में दो बार फेल हुए तो तैयारी छोड़ने का फैसला किया, लेकिन सिर्फ इस बड़ी वजह से ऐसे बने IAS

    उन्होंने अपना सपना नहीं छोड़ा। वह लगातार पढ़ाई में थोड़ा-बहुत ध्यान दे रहे थे। तीसरे प्रयास में उनकी किस्मत ने साथ दिया और उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 127 प्राप्त कर आईएएस अफसर बनने का सपना पूरा कर लिया।