जब भी किसी महिला को कोई परेशानी होती है तो वह डॉक्टर से उपचार के लिए अस्पताल में जाती है खासकर गर्भवती महिलाएं। क्योंकि गर्भवती महिलाएं छोटी सी बीमारी का इलाज डॉक्टर की सलाह के बिना उपचार नहीं करती है।
इसीलिए वाले बच्चे की सलामती के लिए छोटी सी बीमारी का उपचार सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर के अनुसार ही करती है। लेकिन अगर अस्पताल में ही गर्भवती महिलाओं के उपचार के लिए महत्वपूर्ण दवाइयां मौजूद नहीं होंगी, तो उनको उपचार कैसे मिलेगा।
जिले का एकमात्र सरकारी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए जो किट होती है वह पिछले एक महीने से खत्म है। जिसकी वजह से अगर किसी महिला को डॉक्टर के द्वारा प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है। तो उनको टेस्ट करने के लिए कहने के बाहर प्राइवेट सेक्टर के लानी पड़ती है और उसके बाद में टेस्ट करके रिपोर्ट कार्ड पर लिखा दी है।
क्योंकि जिले के एकमात्र सरकारी बीके अस्पताल में पिछले 1 महीने से प्रेगनेंसी किट टेस्ट है ही नहीं। जिसकी वजह से महिलाओं को किट बहार से खरीदकर लानी पड़ती है और उसकी रिपोर्ट फिर डॉक्टर को दिखाने पड़ती है। इस बारे में जब कमरा नंबर 14 में बैठे कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले 1 महीने से प्रेगनेंसी टेस्ट किट नहीं है।
इसलिए जो भी महिलाएं टेस्ट के लिए आती है। उनको कहा जाता है कि वह बाहर से खरीद कर किट को लेकर आए और फिर टेस्ट करें और फिर उसकी रिपोर्ट उनके ओपीडी रिकार्ड पर लिखते हैं। वही इस बारे में जब सेंट्रल स्टोर के इंचार्ज शैलेंद्र हुड्डा से बात की गई तो उसने बताया कि प्रेगनेंसी किट सरकारी व प्राइवेट एजेंसी के द्वारा खरीदी जाती है।
कुछ समय पहले सरकारी एजेंसी से किट आई थी। जिसमें डिफॉल्ट होने की वजह से उन्हें वापस कर दिया गया। क्योंकि उस किट के द्वारा जिस भी महिला के टेस्ट किए जा रहे थे तो उसकी रिपोर्ट गलत आ रही थी। इस लिया वापिस भेज दी गई।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा उच्च अधिकारियों को 2000 किट की डिमांड भेजी हुई है। जोकि आने वाले 2 से 3 दिन के अंदर आ जाएगी।