हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव द्वारा गृह विभाग को नाम पत्र लिखते हुए हरियाणा का काडर को छोड़कर इंटेलिजेंस ब्यूरो में वापस जाने की मांग रखी है। दरअसल डीजीपी मनोज यादव द्वारा यह पत्र गृह विभाग के सचिव राजीव अरोड़ा और गृह मंत्रालय हरियाणा सरकार और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को लिखा है।
जिसमें उन्होंने हरियाणा सरकार से डेपुटेशन छोड़कर इंटेलिजेंस ब्यूरो में जाने के लिए इजाजत मांगी है। डीजीपी मनोज यादव ने अपने लिखे हुए पत्र को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से आमजन से भी साझा किया है।
जिसमें स्पष्ट शब्दों में दिखाई दे रहा है कि उन्होंने लिखा है कि पिछले 28 महीनों से मैंने हरियाणा की नागरिकों की सेवा में डीजीपी के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। अब आईवी संकेत करता है और मैं कैरियर और पारिवारिक आवश्यकताओं के कारण भारत सरकार में वापस जाना चाहता हूं। मैंने हरियाणा सरकार से मुझे वापस आने की अनुमति देने का अनुरोध भी किया है।
वर्ष 1988 के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी यादव को 21 फरवरी 2019 को हरियाणा का डीजीपी नियुक्त किया गया था। उन्हें दो साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया था। राज्य का पुलिस महानिदेशक पद संभालने से पहले वह खुफिया विभाग (आईबी) में थे, लेकिन 2019 में प्रतिनियुक्ति पर उन्हें उनके कैडर में भेजा गया था।
मनोज यादव को सेवा विस्तार दिए जाने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संवाददाताओं से कहा कि अगले आदेश तक डीजीपी को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है। खट्टर ने कहा कि आईबी चाहे तो एक साल से पहले यादव की प्रतिनियुक्ति रद्द कर सकती है।
बता दें कि सीएम खट्टर यादव को राज्य के डीजीपी के रूप में रखने के इच्छुक थे, जबकि गृहमंत्री अनिल विज उनके दो साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें हटाए जाने के पक्ष में थे।
विज ने पिछले सप्ताह अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को एक पत्र लिखकर इस मामले में यह कहते हुए विवाद को जन्म दे दिया था कि अधिकारियों के एक पैनल को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को अगले डीजीपी के नाम पर विचार करने के लिए भेजा जाना चाहिए। इसके बावजूद कि मनोज यादव का चार साल से अधिक का कार्यकाल अभी बाकी है।