देश का नाम रोशन करने के लिए खिलाड़ियों के पास नहीं है किसी प्रकार की कोई कमी – गिर्राज सिंह

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कहते हैं खेलने के लिए जज्बा की जरूरत होती है ना की सुविधा की, लेकिन जिले के खिलाड़ियों को सरकार के द्वारा हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है। इसीलिए वह अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

जिले में भी तीन ऐसे खिलाड़ी मौजूद हैं जो देश का नाम रोशन करने के लिए इस बार ओलंपिक और पैरालंपिक में भाग ले रहे हैं। उन्होंने ना जाने कितने ही मेडल देश के नाम जीते हैं और देश का नाम रोशन किया हैं। खिलाड़ी देश के लिए खेलता है ना की परिवार के लिए खेलता है।

देश का नाम रोशन करने के लिए खिलाड़ियों के पास नहीं है किसी प्रकार की कोई कमी - गिर्राज सिंह

वह तो सिर्फ और सिर्फ अपने देश के लिए खेलता है ऐसे ही कई खिलाड़ी सुविधा के अभाव के चलते सही तरीके से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे थे। लेकिन अब सरकार के द्वारा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। आज यानी बुधवार को सेक्टर-12 स्थित खेल परिसर में अपने जिले से तीन खिलाड़ी जो देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए ओलंपिक में भाग ले रहे हैं।

देश का नाम रोशन करने के लिए खिलाड़ियों के पास नहीं है किसी प्रकार की कोई कमी - गिर्राज सिंह

उनके सम्मान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर खिलाड़ियों के परिजनों के साथ-साथ डिप्टी डायरेक्टर स्पोर्ट्स व ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित गिर्राज सिंह भी मौजूद थे। इस अवसर पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के तौर पर सबसे पहले उनके परिजनों का सम्मान किया गया और उसके बाद उन परिजनों के हाथों से पौधारोपण किया गया।

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ताकि आने वाले समय में जिस तरीके से वह पौधा बढ़ेगा उसी तरह से उनके बच्चे भी देश का नाम रोशन करते रहेंगे। इसके अलावा जिले के कई खिलाड़ी मौजूद थे। जिनके लिए साईकिल रेस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पैरा ओलंपिक शूटर सिंह राज के पिता प्रेम सिंह ने बताया कि उनका बेटा सिंह राज अपने दादा के नक्शे कदम पर चल रहा है।

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क्योंकि उसके दादाजी सेना में थे और उनको भी शूटिंग का शोक था तो बच्चे में जो भी लक्षण है वह अपने दादा पर गए हैं। उन्होंने बताया कि शूटिंग का खेल खेलना काफी महंगा है। क्योंकि हर दिन में एक खिलाड़ी 40 से 50 शॉट करता है और एक शॉट करीब ₹50 का आता है।

इसीलिए शूटिंग के खिलाड़ी का काफी खर्चा होता है, लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अपने बच्चे को कभी भी खर्चे के चलते खेल से दूर नहीं किया और उन्होंने पूर्ण रूप से अपने बेटे को सपोर्ट करें। उन्होंने बताया कि उनकी बहू कविता भी शूटिंग खिलाड़ी है और अपनी बहू को भी कभी भी खेलने से मना नहीं किया है।

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वही पैरा ओलंपिक शूटर मनीष के पिता दिलबाग सिंह ने बताया कि बच्चे को जिस भी चीज में लग्न है, उसी में उसका करियर होना चाहिए। उनके बच्चे का लग्न खेल में था तो उन्होंने कभी भी उस पर पढ़ाई को लेकर जोर नहीं दिया और खेल में उसको हर समय सपोर्ट करते रहे। आज वह देश का नाम रोशन कर रहा है।

इसके लिए उनकव बहुत गर्व है। कहते हैं कि बाप बेटे के नाम से जाना जाता है, लेकिन मैं इतना खुश नसीब हूं कि मैं अपने बेटे के नाम से जिले में नहीं, प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में जाना जा रहा हूं। मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद डिप्टी डायरेक्टर गिर्राज सिंह ने बताया कि उनको गर्व है कि उनके जिले के तीन बच्चे ओलंपिक में भारत देश को प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनको उम्मीद है कि इस बार भारत के सबसे ज्यादा मेडल आएंगे।

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क्योंकि इस बार ओलंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा खिलाड़ी भारत से गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा जो भी खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेता है। उनको 1500000 रुपए दिए जाते हैं। लेकिन इस बार सरकार के द्वारा खिलाड़ी को ₹500000 एक्स्ट्रा दिए जा रहे हैं, ताकि उनकी प्रैक्टिस में किसी प्रकार की कोई बाधा ना आए।

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वही डिस्टिक स्पोर्ट्स ऑफिसर रमेश वर्मा का कहना है कि उनके जिले से जो तीन खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनको उनकी ओर से शुभकामनाएं और उनको उम्मीद है कि इस बार हर खेल में कोई ना कोई मेडल भारत के खिलाड़ी लेकर ही वापस देश आएंगे।