मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों का दाखिला अधिकारियों के लिए बन रहा है गले की फांस, आ रही है यह परेशानी

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मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों का दाखिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है।हरियाणा सरकार द्वारा जिले में बनाए गए मॉडल संस्कृति स्कूलों की पहली कक्षा में अभी तक एक भी दाखिले नहीं हुए हैं जिसकी वजह से स्कूल के प्रमुखों व कक्षा अध्यापकों पर गाज गिरने की आशंका लगाई जा रही है।


दरअसल, प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने हेतु प्रदेश सरकार की ओर से मॉडल संस्कृति स्कूलों की स्थापना की गई है। जिले में भी करीब 7 मॉडल संस्कृति स्कूल बनाए गए हैं जिसमें निजी स्कूलों की तरह ही सभी सुविधाएं दी गई हैं परंतु इन सुविधाओं के बावजूद भी विद्यार्थी इन मॉडल संस्कृति स्कूलों में दाखिला नहीं ले रहे हैं। दाखिला ना लेना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए गले की फांस बनता नजर आ रहा है। दाखिले को लेकर ही शिक्षा विभाग की ओर से लगातार बैठक कर रणनीति बनाई जा रही है।

मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों का दाखिला अधिकारियों के लिए बन रहा है गले की फांस, आ रही है यह परेशानी

जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी स्वयं गांव के अलग-अलग स्कूलों में जाकर स्कूल के प्रमुखों, अध्यापकों तथा मौजिज लोगों की मीटिंग ले रही है तथा विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल में दाखिला करवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। पिछले दिनों सीआरसी की बैठक में एक टीम का गठन किया गया है जो अलग-अलग स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को मॉडल के संस्कृति स्कूलों के बारे में जागरूक करेंगे।


आपको बता दें कि इन मॉडल संस्कृति स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाई जाएगी वहीं प्रदेश सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अंग्रेजी आना बहुत ही आवश्यक है। इसके चलते मॉडल संस्कृति स्कूलों में इस बार अंग्रेजी माध्यम से दाखिल हो रहे हैं जबकि अन्य कक्षाओं में हिंदी माध्यम से दाखिल हो रहे हैं। अभिभावकों की माने तो फीस देने में सक्षम नहीं है। इसके लिए उनके मन में तय है कि उनके बच्चों को अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई करने में परेशानी होगी।

मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों का दाखिला अधिकारियों के लिए बन रहा है गले की फांस, आ रही है यह परेशानी

इसके अलावा अभिभावक भी इतने पढ़े हुए नहीं हैं कि बच्चों को घर में पढ़ा सके ऐसे में मॉडल संस्कृति स्कूलों में दी जा रही सुविधा बच्चों के लिए लाभदायक साबित नहीं हो रही है।