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लाखों की नौकरी छोड़कर आईएएस बनने की ठानी, इस रणनीति से इन्होंने किया अपना सपना पूरा

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यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले अभिषेक सुराना का यूपीएससी परीक्षा का सफर अन्य कैंडिडेट्स के लिये काफी प्रेरणादायक है। उनका एजुकेशनल बैकग्राउंड काफी अच्छा रहा। वह शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छे स्टूडेंट्स रहे हैं।

इस कैंडिडेट ने अपनी जिंदगी में तमाम चुनौतियों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी। अभिषेक ने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की और दसवीं रैंक के साथ परीक्षा में टॉप किया। हालांकि इससे पहले भी उनका चयन हो गया था। उनकी रैंक उस वक्त 250 आई, जिससे उन्हें आईएएस सेवा मिली।

लाखों की नौकरी छोड़कर आईएएस बनने की ठानी, इस रणनीति से इन्होंने किया अपना सपना पूरा

यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं।बिना मेहनत के इसमें कुछ हासिल नहीं होता है। उन्होंने परीक्षा की तैयारी जारी रखी। लेकिन उन्होंने आईपीएस सेवा चुन ली, जिसमें ट्रेनिंग जारी रखी और फिर अगला अटेम्पट दिया। इस बार उन्हें अपनी मन पंसद की सेवा मिली और इस तरह उन्होंने अपने आईएएस ऑफिसर बनने का सपना साकार किया।

लाखों की नौकरी छोड़कर आईएएस बनने की ठानी, इस रणनीति से इन्होंने किया अपना सपना पूरा

यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं। यूपीएससी में बेहतर रणनीति बनाकर कड़ी मेहनत करनी होती है। अभिषेक ने शुरुआती शिक्षा राजस्थान के भीलवाड़ा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली आईआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा किया। आईआईटी ग्रेजुएट्स पूरी होते ही उनकी विदेश में एक अच्छी हाईपेइंग जॉब लग गई। उन्होंने इसके बाद डेढ़ साल नौकरी की। अभिषेक को कुछ वक्त बाद अहसास हुआ कि यह फील्ड वह नहीं है जिसमें उनका लंबे वक्त तक मन लगे।

लाखों की नौकरी छोड़कर आईएएस बनने की ठानी, इस रणनीति से इन्होंने किया अपना सपना पूरा

जीवन में हम सभी सफलता के बहुत सपने देखते हैं। सफलता उन्हीं को मिलती है जो लगातार प्रयास करते हैं। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दूसरी विदेशी धरती पर बिजनेस डाला। जिसकी फंडिग सरकार द्वारा हुई थी। कुछ साल काम करने के बाद उनके मन में देश में आकर जमीनी स्तर पर कुछ करने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। जिसके बाद उन्होंने बिजनेस छोड़ दिया. सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला किया, और सफल हुए।

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