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जिस उम्र में बच्चे क्लास मॉनिटर बनते हैं, उस उम्र में ये बच्चा बना करोड़पति ऐसे खड़ी की करोड़ो की कंपनी

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सफलता उम्र देखकर नहीं मेहनत से मिलती है। आपके हौसले बड़े होने चाहिए उम्र नहीं। स्कूल लाइफ में हर बच्चे का सपना होता है कि वो अपने क्लास का मॉनिटर बने। लेकिन जिस बच्चे में क्लास को संभालने की क्षमता तथा प्रतिभा देखने को मिलती है उसी को क्लास मॉनिटर योग्य समझा जाता है। आज हम एक ऐसे लड़के की बात करेंगे, जो स्कूल के मॉनिटर बनने के उम्र में कंपनी का सीईओ बन गया है।

छोटी इस उम्र में इस बच्चे से काफी बड़ा काम कर दिखाया है। यह काम बड़े – बड़े भी नहीं कर सके। मुंबई के रहने वाले 9 वर्षीय अद्वैत ठाकुर कम उम्र में इतना बड़ा मुकाम पाया है, जिसको सुन कर हर कोई हैरान हो जाता है। इस बच्चे ने इतने कम उम्र में एक कंपनी का सीईओ का पद को संभाला। अद्वैत बचपन से दूसरे बच्चे के मुकाबले पढ़ाई में बहुत अच्छे थे।

जिस उम्र में बच्चे क्लास मॉनिटर बनते हैं, उस उम्र में ये बच्चा बना करोड़पति ऐसे खड़ी की करोड़ो की कंपनी

हर उम्र के लोग आज इस बच्चे से प्रेरणा ले रहे हैं। प्रेरणा ले भी क्यों न काम ही ऐसा किया है। इन्होंने छोटी सी उम्र में ही खुद की वेबसाइट भी लॉन्च की थी। अभी ये 18 वर्ष के भी नही हुए थे तभी इन्होंने खुद की कंपनी खोल ली थी और उसी कंपनी के सीईओ के पद पर तैनात भी हो गए। अद्वैत ठाकुर को बचपन से कंप्यूटर में ज्यादा लगाव था क्योंकि इनके पिता रविन्द्र ठाकुर एक IT इंजीनियर थे और वो अपना ज्यादातर काम घर पर करते थे।

जिस उम्र में बच्चे क्लास मॉनिटर बनते हैं, उस उम्र में ये बच्चा बना करोड़पति ऐसे खड़ी की करोड़ो की कंपनी

अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा होता है तो सफलता की राह पर चलना आसान हो जाता है। जब रविन्द्र कंप्यूटर पर कोडिंग करते थे तब अद्वैत के मन मे भी कंप्यूटर चलाने की ललक जागृत होती थी। जब इनके पिता को इनकी ललक के बारे में पता चला तो महज 6 साल की उम्र में ही उन्होंने अद्वैत को कंप्यूटर की बेसिक नॉलेज की जानकारी देना शुरू कर दिया। उसी समय से अद्वैत ने कंप्यूटर से प्यार करना शुरू कर दिया। 9 साल की उम्र में वेबसाइट बना डाला।

जिस उम्र में बच्चे क्लास मॉनिटर बनते हैं, उस उम्र में ये बच्चा बना करोड़पति ऐसे खड़ी की करोड़ो की कंपनी

आपकी उम्र बिल्कुल भी मायने नहीं रखती है। आपकी मेहनत मायने रखती है। आपको कभी हार नहीं माननी चाहिए हमेशा प्रयास करते रहने चाहिए। लगातार प्रयास करने से ही सफलता मिलती है।

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