खेती-बाड़ी में पिछले कुछ सालों के अंदर अनेकों बदलाव आये हैं। किसान नए – नए तरीकों से और फसलों से खेती में अपना भविष्य बना रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान अब औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं। कम लागत और मांग बढ़ने के कारण किसानों को इनकी खेती से मोटी कमाई हो जाती है। ये पौधे आज पारंपरिक फसलों के विकल्प के रूप में उभरे हैं।
औषधीय पौधों की खेती करने से किसानों को मुनाफा ज़्यादा होने लगा है। इसकी डिमाडं भी बहुत बढ़ती जा रही है। यह डिमांड आगे और बढ़ेगी। किसानों की आय बढ़ाने को प्रयासरत सरकार भी अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
किसानों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान खेती-बाड़ी में मोटा मुनाफा होने लगा है। किसान को अब अपनी मेहनत के दाम मिलने लगे हैं। औषधीय पौधों की खेती कर रहे किसानों के पास सर्पगंधा एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। भारत में 400 वर्ष से सर्पगंधा की खेती किसी न किसी रूप में हो रही है।
वर्तमान में अनेकों युवा खेती की तरफ अपना रुझान दिखा रहे हैं। आज अनेकों लोग खेती कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। पागलपन और उन्माद जैसी बीमारियों के निदान में इसका उपयोग किया जाता है। सांप और अन्य कीड़े के काटने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सर्पगंधा की खेती तने से कलम बनाकर खेती करने के लिए कलमों को 30 पीपीएम वाले एन्डोल एसिटिक एसिड वाले घोल में 12 घंटें तक डुबोकर रखने के बाद बुवाई करने से पैदावार अच्छी होती है।
पारंपरिक खेती को छोड़कर कई किसानों ने सर्पगंधा की खेती करना शुरू किया है जो आज मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। खेती करना इतना आसान नहीं है लेकिन फिर भी आज अनेकों लोग इसी क्षेत्र में अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं।