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खोरी के समर्थन में आ सकते हैं किसान, क्या बढ़ेंगी सरकार की मुश्किलें ?

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पिछले कुछ दिनों से फरीदाबाद का एक मामला केवल शहर की सीमाओं के बीच सीमित न रह कर पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि यह मामला भी कोई छोटा–मोटा नहीं बल्कि लाखों की जिंदगी का सवाल है। उन गरीबों का सवाल है जो दिन–रात खून–पसीना एक कर अपना छोटा सा आशियाना बनाते हैं लेकिन धोखाधड़ी और सरकार की लापरवाही के कारण उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है।

बता दे, खोरी गांव जो पिछले कई सालों से कई गरीबों को रहने के लिए पनाह दे रहा है लेकिन उन्हें यह जगह रहने के लिए सरकार ने नहीं बल्कि भू–माफियाओं ने दी जो सरकार की नाक के नीचे उन्हीं की जमीन को बेचकर बिना मेहनत की कमाई खा रहे हैं। खोरी गांव के निवासियों से जमीनी स्तर पर रूबरू होने के बाद पता चला कि इस मामले में वन विभाग के अधिकारी और पुलिस के कुछ अधिकारी भी शामिल है जो जमीन पर घर बनाते वक्त आकर वसूली करके जाते थे लेकिन आप जमीन तोड़ने के आदेशों पर कोई भी उनसे सवाल नहीं करता।

वन विभाग की टीम और नगर निगम फरीदाबाद की टीम लगातार खोरी गांव में दौरा कर रही है और हालातों के मद्देनजर जरूरी फैसले लिए जा रहे हैं। आपको बता दें कि इससे पहले खोरी गांव को 16 तारीख को तोड़ने की बात कही जा रही थी जिसके बाद यह फैसला 22 तारीख को हुआ लेकिन अब बताया जा रहा है कि 28 जून को तोड़फोड़ की जा सकती है। लेकिन आपको बता दें कि तोड़फोड़ के डर से खोरी गांव में लोग आत्महत्या भी कर रहे हैं और कुछ लोगों की मानसिक हालत भी खराब हो चुकी है ऐसे में सरकार के लिए यह फैसला बेहद मुश्किल है ।

किसानों को दे सकते है खोरी के लिए मोर्चा

खोरी गांव के लोगों से बातचीत करने के बाद पता चला कि गांव के लोगों के समर्थन में किसान भी जल्द उनका साथ देने आ सकते हैं । किसानो के समर्थक गुरु चरण सिंह खोरी गांव के निवासियों के आशियाने बचाने के लिए शायद खोरी गांव में अपनी टीम के साथ कुछ कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मिली है कि 30 जून को किसान यूनियन भी खोरी गांव के गरीबों के समर्थक में आएगी ।

गुरु चरण सिंह का इतिहास

गुरु चरण सिंह के इतिहास की बात करें तो इनका इतिहास ऐतिहासिक है। जन्म सितंबर, 1924 में पंजाब के पटियाला जिले में हुआ था। शुरू से ही अकाली दल के समर्थक रहे, श्री तोहड़ा 1947 में पार्टी की पटियाला इकाई के महासचिव बनाए गए।

किसानों के हितों के लिए आंदोलनरत श्री तोहड़ा को रियासती प्रजामंडल आंदोलन के दौरान 1945 में कैद कर लिया गया। उन्हें 1950 में पटियाला में लोकप्रिय सरकार के गठन करने के लिए एक बार फिर हिरासत में लिया गया। उन्होंने पृथक पंजाब राज्य के गठन के लिए चले आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई और इसके लिए दो बार जेल गए।

श्री तोहड़ा 1972 में एसजीपीसी के अध्यक्ष बनाए गए और 1999 तक लगातार इस पद कायम रहे। इस वर्ष शिरोमणि अकाली दल (सैड़) में फूट और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का विरोध करने के कारण उन्हें एसजीपीसी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।

श्री तोहड़ा ने आपातकाल लगाए जाने के भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले का कड़ा प्रतिवाद किया और इसके विरोध में सक्रिय रहे। इस क्रम में राज्यसभा सांसद होने के बावजूद उन्हें 1975 में आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।

इसके अलावा भी गुरु चरण सिंह के बारे में किसानों के हित में कार्य करने की ढेर सारी बातें यदि यह खोरी गांव के लोगों के समर्थन में आते हैं तो खोरी गांव में तोड़फोड़ करना प्रशासन के लिए और भी मुश्किल हो जाएगा ।

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