अपनी कार्यप्रणाली के कारण चर्चा में रहने वाली इकोग्रीन पर शहरी स्थानीय निकाय की कमेटी में विधायकों ने सवाल उठाया है। जिले में कूड़ा निस्तारण का जिम्मा संभाल रही इको ग्रीन कंपनी की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे है। ग्रीन कंपनी की कार्यप्रणाली पर इस बार आमजन ने नहीं बल्कि विधायकों ने चिंता जताई है।
दरअसल, फरीदाबाद में कूड़ा निस्तारण का जिम्मा संभाल रही इको ग्रीन कंपनी अपनी कार्यप्रणाली की वजह से हमेशा विवादों में रहती है। इस बार फरीदाबाद और गुरुग्राम से प्रतिदिन कूड़े के निस्तारण में खामियों को लेकर विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय कमेटी ने चिंता जताई है। विधायकों द्वारा तथ्यों के बाद अब इको ग्रीन कंपनी की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जाएगी।
मिली जानकारी के अनुसार विधायकों का कहना है कि इको ग्रीन कंपनी स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से दोनों शहरों में निगम के करोड़ों रुपए ले चुकी है। लेकिन कूड़ा निस्तारण का कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की उपस्थिति में 13 अप्रैल 2018 को गुरुग्राम के बंधवाड़ी में इकोग्रीन और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ था।
इसमें बंधवाड़ी में एकत्र दोनों महानगरों के कूड़े से अगले 18 माह में 25 मेगावाट बिजली तैयार की जाएगी। 502 करोड़ रुपए के इस प्लांट के लिए बंधवाड़ी में 10 एकड़ जमीन हटा दी गई थी। लेकिन अब 38 माह के पश्चात भी ईको ग्रीन ने इसकी शुरुआत नहीं की है।
आपको बता दें कि कूड़े का निस्तारण न होने से कूड़े का पहाड़ बढ़ता जा रहा है और आसपास के क्षेत्र में भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आस पास के लोगों का कहना है कि कूड़े के बदबू से वह दूभर जिंदगी जीने के लिए मजबूर है।
अब जल का स्तर भी खराब होता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक विधायकों द्वारा इको ग्रीन की कार्यप्रणाली का मुद्दा उठाने के बाद अब कमेटी इको ग्रीन की कार्यप्रणाली के साथ साथ उसके द्वारा बनाई गया योजनाओं का भी समीक्षा करेगी।