जमीन अधिग्रहण मामले में नप है यह अधिकारी, जिला उपायुक्त ने कि यह बड़ी कार्यवाही

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वेस्टर्न डेडीकेटेड रेलवे फ्रेट कॉरिडोर जमीन अधिग्रहण मामले में पलवल के जिला उपायुक्त नरेश नरवाल ने बड़ी कार्यवाही करते हुए 6 पटवारियों सहित आठ कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया है।

डिप्टी कमिश्नर नरेश नर वालों की शिकायत पर कैंप थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इस मामले में एसडीएम कबर सिंह पहले ही सस्पेंड हो चुके हैं जबकि एसडीएम जितेंद्र कुमार और नरेश कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी हो चुका है। एसपी दीपक गहलावत ने बताया कि डिप्टी कमिश्नर नरेश नरवाली पुलिस को लिखे पत्र में कहा है कि रेलवे फ्रेट कॉरीडोर के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया है।

जमीन अधिग्रहण मामले में नप है यह अधिकारी, जिला उपायुक्त ने कि यह बड़ी कार्यवाही

रेलवे नियमों का लाभ उठाने के लिए 6 पटवारी, एसडीएम रीडर और एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने अपने और अपने नजदीकी रिश्तेदारों के नाम जमीन खरीदी। इनमें सुरेश पटवारी एसडीओ एलसी कार्यालय पलवल, कुलबीर पटवारी, बीआरओ से एलसी कार्यालय फरीदाबाद बाबूलाल पटवारी, डी आर ओ सी एल सी कार्यालय फरीदाबाद विकास पटवारी, बीआरओ कार्यालय पलवल, बलवीर पटवारी, एसडीओ सह एलसी कार्यालय पलवल वरुण देव, डीईओ एसडीओ सह एलसी कार्यालय पलवल, राजेश पटवारी, डीआरओ सह एलसी कार्यालय फरीदाबाद सुनील रीडर एसडीओ पलवल शामिल है।

डीसी नरेश नरवाल ने पत्र में लिखा है कि जांच समिति ने माना है कि रेलवे नियमों का अनुचित लाभ उठाने के लिए पटवारियों ने धोखाधड़ी से काम किया है। इन्होंने स्वयं या अपने रिश्तेदारों के माध्यम से कानूनी प्रावधानों के तहत सरकारी खजाने की धोखाधड़ी के लिए परियोजना में अर्जित भूमि का एक हिस्सा खरीदा।


गौरतलब है कि यूपी के दादरी से लेकर नवी मुंबई तक रेलवे कॉरिडोर का निर्माण होना है जिसके लिए करीब 8 साल पहले नोटिफिकेशन गजट जारी कर दिया गया है।

जमीन अधिग्रहण मामले में नप है यह अधिकारी, जिला उपायुक्त ने कि यह बड़ी कार्यवाही

रेलवे कॉरिडोर के निर्माण के लिए पलवल के कुछ गांव का अधिग्रहण किया गया था जिसमें असावटी, मेधापुर, लाडपुर, जटौला, ततारपुर पृथला गांव के 15 एकड़ जमीन शामिल है। जानकारी मिली है कि यहां 100 मीटर जमीन पर करीब 500 लोगों को मालिक बना दिया गया है।

इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब 100 मीटर की जमीन के लिए करीब 22 साढ़े करोड रुपए का मुआवजा देने की बात आई।

रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों को यह बात खटकी और उन्होंने अपने स्तर पर इस मामले की जांच की और जांच के बाद इस मामले को सीएम मनोहर लाल खट्टर के संज्ञान में लाया। इसकी जान जब शुरू हुई तो परत दर परत मामला खुलता चला गया।