महामारी के दौर के चलते बच्चों और अभिभावकों के बीच में बढ़ी दूरियां

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अक्सर हमें बच्चे से अगर कोई काम करवाना होता है तो हम उसको लालच देते हैं कि अगर तू यह काम कर देगा तो हम तुझे यह चीज दे देंगे या फिर बाहर घुमाने के लिए ले जाएंगे। इस लालच के चलते बच्चा वह कार्य तो कर देता है। लेकिन हर बार वह किसी भी काम को करने से पहले आपके सामने एक फरमाइश रख देता है, जो कि आगे चलकर आपको काफी नुकसानदायक होती है और बच्चे के भविष्य के लिए भी है नुकसानदायक होती है।

इसीलिए कहते हैं कि अगर बच्चे से हमें कोई कार्य करवाना है, तो उसके सामने लालच की कोई भी बात नहीं करनी चाहिए। उस बच्चे से वह कार्य आपको प्यार से करवा लेना चाहिए। इसी तरह की कई सारी समस्याएं करीब 2 साल से अभिभावकों को झेलनी पड़ रही है। क्योंकि उनके बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और 24 घंटे उनके सामने रहते हैं।

महामारी के दौर के चलते बच्चों और अभिभावकों के बीच में बढ़ी दूरियां

जिसकी वजह से बच्चे का जो रहन-सहन है, उसमें तो बदलाव आया ही है साथ ही अभिभावकों के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिला है। जिसकी वजह से अभिभावक और बच्चों में काफी दूरी आ चुकी है। इन्हीं दूरी को कम करने के लिए बाल कल्याण विभाग के द्वारा बाल परामर्श सेवा को शुरू किया गया है। जिसमें अभिभावक या फिर यूं कहें बच्चे भी फोन करके अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।

महामारी के दौर के चलते बच्चों और अभिभावकों के बीच में बढ़ी दूरियां

इसके लिए दो उच्च अधिकारियों के नंबर जारी किए गए हैं। जिसमें से एक तो डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर नरेंद्र मलिक जिनका नंबर है 8295581938 व प्रोग्राम ऑफिसर एस एल आत्री 9013295571 पर फोन करके बात कर सकते हैं। नरेंद्र मलिक ने बताया कि उनके पास हर रोज करीब 2 से 3 अभिभावकों के फोन आते हैं।

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जो कहते हैं कि वह अपने बच्चों से अब काफी परेशान हो चुके हैं और बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं और वह जिद्दी हो चुके हैं। जब उनसे उनकी पूरी कहानी सुनी जाती है, तो उनको पता चलता है कि अभिभावक बच्चों से अगर कोई कार्य करवाना चाहते हैं जैसे कि वह चाहते हैं कि बच्चे ऑनलाइन एक घंटा पढ़ाई करें तो बच्चों को कहते हैं कि अगर तुम एक घंटा पढ़ाई करोगे तो तुमको चॉकलेट दी जाएगी।

इसी लालच में बच्चे एक घंटा पढ़ाई तो कर लेते हैं। लेकिन लालच उनका हर बार बढ़ता रहता है। जिससे अभिभावक काफी परेशान है। उन्होंने बताया कि अभिभावकों ने उनको बताया कि महामारी के दौर में उनकी आमदनी काफी कम हो चुकी है। जिसके चलते उनके परिवार का गुजर बसर करना भी काफी मुश्किल हो चुका है और ऊपर से बच्चों की हर दिन नई फरमाइश के चलते उन को काफी परेशानी हो रही है।

महामारी के दौर के चलते बच्चों और अभिभावकों के बीच में बढ़ी दूरियां

इसीलिए वह बच्चों पर कई बार गुस्सा भी कर देते हैं और उन पर हाथ उठा देते हैं। जिसके चलते बच्चे दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। इसी तरह की कई शिकायतें उनके पास दिन में दो-तीन आती है। उन शिकायतों को सुनने के बाद सबसे पहले अभिभावकों से बात की जाती और उसके बाद बच्चों से और दोनों को समझाया जाता है कि कैसे वह इस दौर में एक दूसरे का साथ बने।

इसके अलावा भी अगर कोई बच्चा मेंटली तौर पर परेशान है, तो उसके लिए उनकी टीम के द्वारा एक डॉक्टर जो कि गुड़गांव में साइकोलॉजिस्ट है उनसे उनकी बात कराई जाती है और डॉक्टर उस बच्चे का उपचार के लिए अभिभावकों से बात करते हैं। जिसके बाद बच्चा धीरे-धीरे ठीक होने लगता है और अभिभावक भी खुश हो जाते हैं।

महामारी के दौर के चलते बच्चों और अभिभावकों के बीच में बढ़ी दूरियां

उन्होंने बताया कि महामारी के दौर में जब से स्कूल बंद हुए हैं तब से बच्चों के दिनचर्या में तो फेरबदल देखने को मिला ही है। साथ ही अभिभावकों की दिनचर्या में भी फेरबदल हुआ है। क्योंकि पहले अभिभावक कई घंटे अकेले घर पर व्यतीत करते थे, लेकिन अब वह 24 घंटे परिवार में ही गिरे रहते हैं और उनको खुद के लिए समय नहीं मिल पाता है।

इसीलिए उनका चिड़ चिड़ापन पर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए उनके द्वारा काउंसलिंग के जरिए अभिभावक के साथ-साथ बच्चों को समझाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बाल परामर्श सेवा को शुरू करने का उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ इतना ही है कि अभिभावक व बच्चे इस महामारी के दौर में कोई गलत कदम ना उठाएं और उनकी जो समस्या है उसका समाधान है, उनके घर बैठे ही आसानी से कर दे।

इसीलिए हर रोज 11:00 से 1:00 तक वह बाल परामर्श सेवा के दौरान जो भी अभिभावक व बच्चे उनको फोन करके उनसे परामर्श मांगते हैं। वह उनको समझाते हैं और उनके अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।