लगातार 5 बार हुए असफल लेकिन नहीं मानी हार आज बन गए कड़ी मेहनत से IAS, दुनिया कर रही सलाम

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    अक्सर ज़िंदगी में हम बहुत जल्दी हार मान लेते हैं। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। यूपीएससी की तैयारी करते वक्त असफलता मिलने पर कभी निराश नहीं होना चाहिए। तेलांगना के अनुदीप दुरीशेट्टी का यूपीएससी का सफर काफी कठिनाई भरा रहा। यूं तो साल 2017 में उन्होंने न केवल यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की बल्कि रैंक वन के साथ ऑल इंडिया टॉपर भी बने लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्होंने बहुत पापड़ बेले।

    इस सफर के दौरान खुद को मोटिवेट रखना काफी जरूरी होता है। यही मोटिवेशन आपकी सफलता का कारण बनता है। एक के बाद एक असफलताएं मिली पर अनुदीप पीछे हटने वालों में से नहीं थे। कुल पांच प्रयासों में से दूसरे प्रयास में उनका सेलेक्शन आईआरएस सेवा के लिए हुआ भी लेकिन अनुदीप के मन में हमेशा से आईएएस ही घूमता रहता था।

    लगातार 5 बार हुए असफल लेकिन नहीं मानी हार आज बन गए कड़ी मेहनत से IAS, दुनिया कर रही सलाम

    उनके पास निराशा के अलावा कुछ नहीं था। हौसला उनका काफी बुलंद था। उनकी कहानी ऐसे लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक है जो इस वक्त असफलता से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपने आखिरी अटेम्पट तक प्रयास किया और ईश्वर ने भी अंत तक उनकी परीक्षा लेने के बाद उन्हें सफलता का स्वाद चखाया। इन सालों में अनुदीप ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे।

    लगातार 5 बार हुए असफल लेकिन नहीं मानी हार आज बन गए कड़ी मेहनत से IAS, दुनिया कर रही सलाम

    आपको असफलता से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। सफलता आपके नज़दीक होती है जब तक असफल होते हैं। अनुदीप तेलांगना में मेटपल्ली नामक स्थान के हैं और उनकी शुरुआती शिक्षा भी यहीं हुई। उनके पिताजी एक सरकारी कमर्चारी हैं और माता जी गृहणी हैं। स्कूल की पढ़ाई के बाद अनुदीप ने बिट्स पिलानी, राजस्थान से साल 2011 में ग्रेजुएशन पूरा किया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन में यह डिग्री ली। इसी दौरान अनुदीप को सिविल सेवा की तरफ रुझान महसूस हुआ।

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    यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। 2012 में अनुदीप ने पहला अटेम्पट दिया और इस साल वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए। इसके अगले ही साल अनुदीप ने साल 2013 में परीक्षा पास की लेकिन रैंक कम आने की वजह से उन्हें एलॉट हुई आईआरएस सेवा।