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डॉक्टर्स डे पर विशेष :- जिस प्रतिष्ठा के हम हकदार थे हम, वह इन 2 सालों में मिला

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डॉक्टर यानी भगवान का दूसरा रूप। यह नाम भी लोगों के द्वारा ही दिया गया है। क्योंकि डॉक्टर ने जिन मरीजों की जान बचाई है उनके परिजनों के लिए तो वह भगवान के समान है। महामारी जो पिछले 2 साल से हमारे देश में इस कदर मेहमान की तरह आकर बैठ चुका है, कि वह जाने का नाम नहीं ले रहा है और इस महामारी के दौर में डॉक्टरों की जो भूमिका रही है। वह किसी से नहीं छुपी है।

क्योंकि डॉक्टर के द्वारा ही लोगों को इस महामारी से बचाया गया। अगर डॉक्टर इस महामारी में इतना अच्छा कार्य नहीं करते तो शायद आज भी हम लॉकडाउन के चलते घरों में कैद रहते। नेशनल डॉक्टर दिवस के अवसर पर जिले के ही नहीं बल्कि देश के उन सभी डॉक्टर्स को सलाम।

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जिन्होंने इस महामारी के दौर में इतना अच्छा कार्य करके लाखों लोगों की जान बचाई है। इस डॉक्टर दिवस के अवसर पर पहचान फरीदाबाद के संवाददाता हेमलता रावत के द्वारा भी जिले के कुछ डॉक्टरों से बात की गई और उनका 2 साल का जो अनुभव था, उसे इस लेखनी के जरिए आपके सामने पेश किया जा रहा है।

इन डॉक्टरों से 3 सवाल पूछे गए। जिसमें से पहला सवाल यह था कि 2 साल महामारी का दौर रहा और डॉक्टर की इसमें काफी अहम भूमिका रही। उनके द्वारा इस दौर को किस तरीके से देखा गया और उन्होंने क्या खोया क्या पाया।

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वही दूसरा सवाल यह है कि महामारी के दौर में देश के कई डॉक्टरों पर हमला किया गया। क्या आने वाले समय में डॉक्टर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं और सरकार से उनकी क्या गुजारिश है। वहीं तीसरा सवाल यह है कि तीसरी लहर शहर में दस्तक दे चुकी है और शहर के डॉक्टरों इस लहर में क्या भूमिका रहेगी।

इस विषय में सेक्टर 8 सर्वोदय अस्पताल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेटर डॉ सौरभ गहलोत से जब बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि महामारी का जो 2 साल का जो दौर था। उसमें उनकी जो अहमियत थी वह उजागर होकर लोगों के सामने आई। उनकी जो शाख थी वह उन्होंने वापस पाई। उनका मानना था वॉरियर में सिर्फ देश की सेना को ही गिना चाहता था।

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लेकिन इस बार डॉक्टर को भी वॉरियर्स का नाम दिया। जो कि उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि इस दौर में उन्होंने मरीजों और उनके परिजनों की सिर्फ और सिर्फ दुआएं ही पाई है। लेकिन खोया बहुत कुछ है। उन्होंने इस दौर में काफी संख्या में ऐसे हेल्थ वर्करों को खोया है। जो उनके साथ कई सालों से कार्य कर रहे थे।

जब भी उस दौर को वह याद करते हैं, तो दिल भर आता है और वह सोचते हैं कि ऐसा दौर भगवान दोबारा से किसी को ना दिखाएं। उनका कहना है कि सुरक्षा हर किसी के लिए मायने रखती है। चाहे वह पुलिस हो, डॉक्टर हो या कोई एक कंपनी में काम करने वाला कर्मचारी। इस महामारी के दौर में डॉक्टरों पर हमला हुआ है।

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वह बहुत ही दर्दनाक है। इसके लिए सरकार को कोई सख्त कानून बनाना चाहिए। जिस तरीके से महामारी के 2 साल में डॉक्टरों ने कार्य किया है। उसी तरीके से तीसरी लहर के लिए भी पूरी तरीके से तैयार है। सर्वोदय हस्पताल में भी तीसरी लहर को लेकर सभी स्टाफ व अन्य डॉक्टर्स को एक्स्ट्रा ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि जो खामियां दूसरी और पहेली लहर में देखने को मिली वह तीसरी लहर के आने से पहले से ही पूरी कर ली जाएगी।

वहीं आई एम ए कि प्रधान डॉ पुनीत असीजा ने कहा कि जो 2 साल महामारी का दौर रहा। उसमें डॉक्टरों ने बहुत कुछ खोया है। अपने परिवार से लेकर अपने दोस्त से लेकर अपने खास मरीजों तक को खोया है। अगर उनका कोई परिजन, दोस्त या मरीज महामारी की चपेट में आ गया। तो वह उनसे मिल भी नहीं पा रहे थे।

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क्योंकि उनको महामारी का जो प्रोटोकॉल उसकी पालना करनी थी। इस 2 साल में उन्होंने कई अपने खास दोस्तों के साथ साथ खास हेल्थ वर्कर को भी खोया है। ऐसा दौर दोबारा वह कभी देखना नहीं चाहते हैं। वही इस दौर में कई डॉक्टरों पर हमला किया गया है। जो कि बहुत ही शर्मनाक है।

सरकार को एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जिससे कि डॉक्टर अपने आप को सुरक्षित महसूस करके अपनी ड्यूटी करें। क्योंकि आज के समय में डॉक्टर के बच्चे कहते हैं कि मम्मी हम डॉक्टर बनना नहीं चाहते हैं। हम अपना भविष्य किसी और करियर में बनाना चाहते हैं।

क्योंकि डॉक्टर पर आए दिन हमले की खबर वह बच्चे देख लेते हैं और उनके दिमाग में वह डर बैठ गया है कि डॉक्टर सुरक्षित नहीं है। अगर सरकार के द्वारा एक सख्त कानून बनाना चाहिए। ताकि इस समय जो डॉक्टरों की कमी देखी गई थी।

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वह पूरी हो जाएगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के लिए शहर के ही नहीं बल्कि पूरे देश के डॉक्टर पूर्ण रूप से तैयार है। सभी डॉक्टरों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है। खासकर बाल रोग विशेषज्ञ और गायनेकोलॉजिस्ट को। क्योंकि तीसरी लहर जो आने वाली है कहा जा रहा है वह बच्चों पर असर करेगी। इसीलिए इस दौरान में इन दोनों डॉक्टरों की अहम भूमिका रहेगी।

वहीं ईएसआईसी में जनरल सर्जन के पद पर कार्य कर रहे डॉ हेमंत अत्री का कहना है कि इस 2 साल में उन्होंने पाया तो कुछ नहीं है। लेकिन खोया बहुत कुछ है। उनका कहना है कि इस 2 साल में मानवता पूर्ण रूप से खत्म हो गई है।

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जिन लोगों के द्वारा कालाबाजारी की गई है वह भी उन चीजों की जोकि सैकड़ों लोगों की जान बचा सकता था। वह आज मानवता पूर्ण रूप से खत्म हो चुकी है। अगर उन्होंने कुछ थोड़ा बहुत पाया है तो वह है सिर्फ दुआ। क्योंकि इस महामारी के दौर में अपनों ने ही अपनों का साथ छोड़ दिया।

चाहे वह बुजुर्ग मां-बाप हो या कोई भी विदेश में रहने वाला उनका परिवार। क्योंकि वह इस महामारी में उनके पास नहीं आ पाया और इसी के चलते डॉक्टर भी एक सामाजिक कार्य करने में आगे आए। उनको गर्व है कि वह एक डॉक्टर है और इस महामारी के दौर में उन्होंने कई लोगों की जान बचाई है।

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ना सिर्फ डॉक्टर के हैसियत से बल्कि एक समाजसेवी की हैसियत से भी। उन्होंने कहा अगर इसी तरीके से डॉक्टर पर हमला होता रहा तो आने वाले समय में कोई भी स्टूडेंट यह नहीं बोलेगा कि वह डॉक्टर बनना चाहता है। क्योंकि हर कोई अपनी सुरक्षा पहले देखता है। इसीलिए सरकार को इस और गंभीरता से सोचना चाहिए और कोई ऐसा कानून बनाना चाहिए जिससे कि लोग मार पिटाई करने से पहले 10 बार सोचे।

जैसे कि आप सभी जानते हैं तीसरी लहर शहर में दस्तक दे चुकी है इसको लेकर सभी डॉक्टर पूरी तरह से तैयार है। लेकिन तीसरी लहर आने से पहले ही लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए है और वह अगर घर से बाहर निकल रहे हैं। तो महामारी के जो नियम है मास्क और 2 गज की दूरी उसको जरूर अपनाएं। ताकि तीसरी लहर आने से पहले ही खत्म हो जाए।

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