2 साल बीतने के बाद यह संक्रमण का असर कम होने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में आर्थिक मंदी से हरियाणा रोडवेज भी जूझ रहा है। बीते दो वर्ष की बात करें तो संक्रमण की दोनो लेकर के चलते सरकारी कोष से होगी।
कोरोना की दोनों लहर में रोडवेज को 2100 करोड़ से अधिक की वित्तीय चपत लगी है। बीते वर्ष 1100 करोड़ का घाटा हुआ था तो इस बार कोरोना के कारण अब तक एक हजार करोड़ से अधिक की वित्तीय हानि हो चुकी है।
रोडवेज में टिकटों के फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए परिवहन विभाग जल्दी ई-टिकटिंग शुरू करने जा रहा है। 29 जून को चंडीगढ़ में हुई हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में ई-टिकटिंग प्रोजेक्ट का एजेंडा आया था, लेकिन प्रोजेक्ट के मसौदे पर कुछ सवाल खड़े होने के कारण मंजूरी नहीं दी जा सकी। दोबारा जल्दी होने वाली हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में इसे लाकर स्वीकृति दिलाई जाएगी।
परिवहन मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को ई-टिकटिंग प्रोजेक्ट के प्रस्ताव की त्रुटियों को दूर करने के निर्देश दे दिए हैं। मूल चंद शर्मा ने कहा कि महामारी ने आर्थिक तौर पर रोडवेज की भी कमर तोड़ी है। बावजूद इसके रोडवेज ने आम आदमी को गंतव्य स्थल पर पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई। सामाजिक दायित्व निभाने में भी रोडवेज पीछे नहीं रहा। यह कमाई का साधन नहीं है, इसलिए इसका घाटा सरकार अपने ऊपर लेगी।
परिवहन मंत्री ने बताया कि अभी तक रोडवेज की बसों में अनेक श्रेणी के लोग धौंस दिखाकर बिना पास, बिना टिकट भी यात्रा करते हैं। कंडक्टर उनका रौब देखकर टिकट नहीं काट पाते। ई-टिकटिंग शुरू होने पर यह सब बंद हो जाएगा। चूंकि, ई-टिकट में कर्मचारी का पास नंबर भरना जरूरी होगा। बिना पास दिखाए या नंबर बताए कोई भी बिना टिकट यात्रा नहीं कर सकेगा। इससे भी रोडवेज की रोजाना आय में वृद्धि होगी।