वेस्टर्न डेडीकेटेड रेलवे कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण और अवार्ड में हुए फर्जीवाड़े के आरोपित वरुण देवघर की जमानत याचिका खारिज हो गई है। एडवोकेट सुशील कुमार पोसवाल ने बीते सोमवार को एडीजे सुखप्रीत सिंह की कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में माना। जमानत दिए जाने से आरोपी केस को प्रभावित कर सकता है।
अदालत ने पहली सुनवाई में ही याचिका को खारिज कर दिया। जमीन अधिग्रहण मुआवजा और अवार्ड पेपर फ्रॉड में वरुण देव गर्ग सहित आठ कर्मचारियों के खिलाफ डीसी की शिकायत पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में एसडीएम कबर सिंह को सस्पेंड किया जा चुका है, एसडीएम जितेंद्र कुमार और नरेश कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा 6 पटवारी, एसडीएम के रीडर और एक कंप्यूटर ऑपरेटर को सस्पेंड किया जा चुका है।
यूपी के दादरी से लेकर नवी मुंबई तक रेलवे कॉरिडोर का निर्माण होना है जिसके लिए करीब 8 साल पहले नोटिफिकेशन गजट जारी कर दिया गया है। रेलवे कॉरिडोर के निर्माण के लिए पलवल के कुछ गांव का अधिग्रहण किया गया था जिसमें असावटी, मेधापुर, लाडपुर, जटौला, ततारपुर पृथला गांव के 15 एकड़ जमीन शामिल है। जानकारी मिली है कि यहां 100 मीटर जमीन पर करीब 500 लोगों को मालिक बना दिया गया है।
इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब 100 मीटर की जमीन के लिए करीब 22 साढ़े करोड रुपए का मुआवजा देने की बात आई। रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों को यह बात खटकी और उन्होंने अपने स्तर पर इस मामले की जांच की और जांच के बाद इस मामले को सीएम मनोहर लाल खट्टर के संज्ञान में लाया। इसकी जान जब शुरू हुई तो परत दर परत मामला खुलता चला गया।