असफलताओं का डटकर किया मुकाबला और फिर इस प्लानिंग से बने आईएएस, प्रेरणा देती है इनकी कहानी

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    हमारे देश में ऐसे कई युवा हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। कभी – कभी असफलताओं से डरकर लोग अपना काम छोड़ देते हैं। यूपीएससी के सफर में जो लोग असफलताओं का डटकर मुकाबला करते हैं, वह जरूर सफलता प्राप्त कर लेते हैं। आज आपको आईएएस बनने वाले रुशीकेश रेड्डी के सफर के बारे में बताएंगे, जिन्हें यहां तक पहुंचने में काफी लंबा वक्त लग गया और कई बार उन्हें असफलता मिली।

    सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। धैर्य के साथ वे कड़ी मेहनत करते रहे, जिसकी वजह से उन्होंने आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया। उनकी कहानी आज सबके लिए मिसाल बन चुकी है।

    असफलताओं का डटकर किया मुकाबला और फिर इस प्लानिंग से बने आईएएस, प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    यूपीएससी की तैयारी के लिए सबसे पहले आपको अपना बेस मजबूत करना होता है। संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा को पास कर आईएएस-आईपीएस या अफसर बनने का सपना हर कोई देखता है। इस सपने को कुछ लोग सच कर दिखाते हैं तो कुछ असफल हो जाते हैं। रुशीकेश बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे। यही कारण रहा कि उन्होंने आईआईटी का एंट्रेंस इंटरमीडिएट के बाद क्लियर कर लिया। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी में जाने का मन बनाया।

    असफलताओं का डटकर किया मुकाबला और फिर इस प्लानिंग से बने आईएएस, प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने वाले सभी कैंडिडेट्स की रणनीति अलग होती है। शुरुआती दो प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, जिससे निराश हुए बिना वे लगातार मेहनत करते रहे। तीसरे प्रयास में उन्होंने परीक्षा पास की लेकिन रैंक 374 रही, जिसके तहत उन्हें इंडियन रेलवे ट्रेफिक सर्विस मिली। चौथा प्रयास उन्होंने किया तब प्री परीक्षा में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने एक और प्रयास किया और पांचवें प्रयास में 95 रैंक प्राप्त कर ली।

    असफलताओं का डटकर किया मुकाबला और फिर इस प्लानिंग से बने आईएएस, प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    इस परीक्षा को पास करने वाले ही देश के नौकरशाह बन पाते हैं। यह हर किसी का सपना होता है। एक तरफ जहां अधिकतर लोग यूपीएससी के लिए कोचिंग को जरूरी मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह परीक्षा पास करने वाले तमाम लोग सेल्फ स्टडी पर फोकस करने की सलाह देते हैं। रुशीकेश रेड्डी का मानना है कि अगर आप कोचिंग नहीं कर सकते, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप सेल्फ-स्टडी पर भरोसा करें और कड़ी मेहनत में जुट जाएं।