हर किसान अपनी फसल को अच्छे से उगाना चाहता है। किसान कई तरीके अपनाते हैं अपनी फसल को उगाने के लिए। धान की बुवाई शुरू हो चुकी है। ज्यादातर जगहों पर इसकी पौध लगाने के 21-22 दिन बाद रोपाई हो रही है। लेकिन इसकी एक और विधि सीधी बुवाई की भी है। इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी कर रही है।
देशभर में किसानों की बचत में अब इज़ाफ़ा होने लगा है। मुनाफा अच्छा होने लगा है। पहले मजदूरी के पैसे भी नहीं निकलते थे अब करोड़ों में सेविंग्स हो रही है। प्रमुख धान उत्पादक राज्य हरियाणा में डीएसआर तकनीक को प्रमोट कर रही है। इसके लिए अगर कोई किसान अपने खेत में डीएसआर टेक्निक का प्रदर्शन करेगा तो उसे 5000 से लेकर 12500 रुपये तक की मदद मिल सकती है।
गत वर्षों के दौरान देखने को मिला है कि पारंपरिक खेती से दूर हो कर किसान नए प्रयोग कर रहे हैं। इन प्रयोगों में उन्हें सफलता और मुनाफा दोनों मिल रहा है। अब इस तकनीक से धान की खेती करने पर पानी, पैसा और समय की बचत होती है। हरियाणा जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में वो धान की खेती के इस तरीके को प्रमोट करना चाहती है। सरकार ने 20 हजार एकड़ में ऐसी खेती का प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।
जिसने भी हटकर काम किया है उसने सफलता ज़रूर प्राप्त की है। यह तकनीक किसानों को काफी लाभ पहुंचा रही है। प्रति एक एकड़ खेत प्रदर्शन पर 5000 रुपये मिलेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि रोपाई की बजाय यदि किसान सीधी बिजाई करें तो इसका फायदा अधिक मिलेगा। यह नर्सरी से रोपाई के बजाय सीधे खेत में बीज द्वारा फसल बुआई की एक विधि है।
किसानों के लिए सरकार तत्परता से काम कर रही है। उनकी कमाई दोगुनी हो सके इसके प्रयास भी किये जा रहे हैं। पंजाब में किसानों ने धान की 15 फीसदी सीधी बिजाई की थी। चार-पांच फीसदी हरियाणा में भी ऐसा हुआ था। धान की सीधी बुवाई में खेत की बार-बार जुताई नहीं करनी पड़ती। जिससे सूक्ष्मजीवों को लाभ पहुंचता है। धान की सीधी बुवाई के लिए खेत का समतल होना जरूरी है।