एक पिता अपने बच्चों के लिए सबकुछ कुर्बान करने की हिमायत रखता है। जो पिता कर सकता है वह कोई नहीं कर सकता है। यूपी के गांव डिगसी निवासी चंद्र किशोर शर्मा के जीवन में भी बड़ा संघर्ष रहा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। मात्र 10 बीघा खेती में ही उन्होंने पूरे छह बेटे और बेटियों को पढ़ाया लिखाया। सबसे छोटे बेटे को नरेंद्र कुमार गौड़ को एमबीए के लिए हंगरी भेजा।
अपने बच्चों को बेहतर ज़िंदगी देने के लिए इन्होनें दिन – रात एक किये। उन्होंने अर्थशास्त्र से एमए किया है। आगे तैयारी करके सरकारी नौकरी की बहुत इच्छा थी, मगर परिवारिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं थी, इसलिए वह सरकारी नौकरी नहीं कर सकें। बाद में शादी-ब्याह हुआ फिर परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गए।
परिवार की ज़िम्मेदारी के लिए अक्सर सपनों को छोड़ना पड़ता है। सपनों को पीछे छोड़कर उन्होंने कड़ा संघर्ष किया। चंद्र किशोर के पांच बेटे और एक बेटी है। इनमें से सभी को बीए, एमए कराया। फिर पांचों बच्चों की शादी की। चंद्र किशोर शर्मा बताते हैं कि मात्र 10 बीघे खेती होने के चलते जीवन संघर्ष से भरा रहा, मगर बच्चों को कभी कोई कमी नहीं होने दी। उनकी पढ़ाई-लिखाई ठीक से हाे सके इसके लिए दूध का कारोबार भी किया, जिससे धीरे-धीरे घर की गाड़ी आगे बढ़ती गई।
उनका एक बेटा विदेश में जाकर नौकरी करने लगा। वह यह नहीं चाहते थे लेकिन फिर भी किसी को एहसास नहीं होने दिया। सबसे छोटा बेटा नरेंद्र कुमार गौड़ पढ़ने में काफी अच्छा है। उसे जामिया-मिलिया इस्लामिया विवि, दिल्ली से बीएससी कराया। एएमसी के लिए मुंबई भेजा।इसी बीच नरेंद्र ने मार्च 2021 में एमबीए के लिए हंगरी में इंटरव्यू दिया। सौभाग्य से वो उसमें सफल हो गया।
अपने बच्चों को बेहतर ज़िंदगी देकर चंद्र किशोर ने पिता होने का फ़र्ज़ अच्छे से निभाया है। इनके सभी बच्चे काफी गर्व करते हैं अपने पिता पर। उनका आत्मविश्वास कभी नहीं डगमगाया।