शनिवार को चंडीगढ़ पंचकूला और मोहाली से हजारों की संख्या किसानों का काफिला किसान नेता गुरनाम सिंह की अगुवाई में दिल्ली कूच करते हुए रवाना हुआ। इस काफिले का अंबाला में जोरदार स्वागत किया गया। जहां पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए गुरनाम सिंह ने बताया कि इन काफिलों का मकसद सरकार को यह दिखाना है कि आंदोलन में जोश अब पहले से भी ज्यादा है।
वहीं जब किसानों नेताओं की आपसी फूट पर सवाल उठा तो इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरनाम सिंह ने कहा कि हर आंदोलन की कामयाबी का अंतिम पढ़ाव फूट से पार पाना है। जिस आंदोलन ने फूट से पार पा लिया वो सरकार से चाहे कुछ भी मनवा ले। वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पाकिस्तानी बताने के बाद पंजाबी समुदाय किसान नेता चढूनी से खासा नाराज दिखाई दे रहा है। लेकिन आज चढूनी ने अपने उसी ब्यान पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को समझा नहीं गया। चढूनी ने कहा इतिहास गवाह है कि जिस-जिस ने राजहठ पकड़ा है, उसकी तबाही हुई है और अब भाजपा की तबाही होगी।
भाजपा द्वारा दिए गए ब्यान कि किसान आंदोलन अपने मुद्दे से भटक गया है पर भी चढूनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किसने बोला कि किसान आंदोलन अपने मुद्दे से भटक गया है। किसान आज भी अपने मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहा है। चढूनी ने किसानों को सन्देश देते हुए कहा कि वह सभी इस आंदोलन में भाग ले,क्योंकि ये किसान आंदोलन नहीं जन आंदोलन है। करोड़ों लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए ये आंदोलन है और इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं हो सकता।
गौरतलब इस बात से सभी परिचित हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों किसान लगभग साढ़े 6 महीने से भी ज्यादा समय बीत चुका है और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसान न सर्दी देख रहें है और ना गर्मी। बस बैठकर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। मगर आलम यह है कि किसी के कान में भी जू तक नही रेंग रही है। परिणाम स्वरूप अब किसानों का आंदोलन आक्रोश में बदलता जा रहा है, और दिन प्रतिदिन किसान नए तरीके से सरकार को चेताने का प्रयास करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते दिखाई दे रही हैं।