पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों को संरक्षित करने के मकसद से प्रदेश सरकार द्वारा घोषित प्राण वायु देवता योजना को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया अपने जिले में शुरू हो गई है। पुराने पेड़ों के उचित रखरखाव की इस योजना के तहत 75 साल से अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल करने वालों को प्रति वर्ष ढाई हजार रुपए पेंशन के रूप में दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पर्यावरण दिवस पर इस आशय की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद वन विभाग ने ऐसे पेड़ों को चिन्हित करने के लिए सर्वे किया है जो 75 वर्ष से अधिक पुराने हैं। इसी योजना के दायरे में जिले के ढाई सौ से अधिक पेड़ आते हैं।
इन पेड़ों के लिए दी जाने वाली पेंशन में बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष बढ़ोतरी भी की जाएगी। पेड़ सरकारी विभाग की जमीन पर है तो उस विभाग के पास पेंशन जाएगी। इस राशि से पेड़ों के चारों तरफ ग्रीन लगवा सकते हैं, पानी और लोगो के बैठने की व्यवस्था भी की जा सकती है।
गौरतलब है कि शहर में इस समय कई जगहों पर काफी पुराने पेड़ हैं, ऐसे में सरकार की योजना पेड़ों सहित लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। वन विभाग इस वर्ष जिले में करीब तीन लाख पौधे रोपेगा।
डेढ़ लाख पौधे किसानों को बांटे जायेंगे ताकि वह खेतों के किनारे लगाए और डेढ़ लाख पौधे विभिन्न विभागों को दिए जायेगे। विभाग की सेक्टर 17 स्थित नर्सरी में पौधे तैयार हो चुकी है। मॉनसून की बारिश शुरू होते ही पौधारोपण शुरू कर दिया जायेगा।
जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कई बार पीएम 2.5 का स्तर 500 तक पहुंच जाता है, जो बेहद खतरनाक माना जाता है। वन विभाग के अनुसार विभाग हर साल दो लाख पौधे रोपने का दावा करता है। इनमें से बचते कितने है, इसका सही आंकड़ा देने में वन विभाग असमर्थ है।
अधिकारियों के अनुसार पौधारोपण के बाद पौधे जीवित रहने का फीसद 50 से 60 फीसद तक होता है, लेकिन हकीकत यह है महज 20 फीसद ही पौधे मुश्किल से बच पाते है। रखरखाव न होने की वजह से दम तोड़ देते है। पौधों को सबसे अधिक नुकसान बेसहारा पशु भी पहुंचाते है। काफी पौधे समय समय पर पानी ना मिलने की वजह से दम तोड़ देते है।