अभिनेता दिलीप कुमार का निकला था पाकिस्तान से ये कनेक्शन…

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दिलीप कुमार(Dilip kumar) और फिल्मी जगत के ट्रेजडी किंग आज इस दुनिया से चल बसे। आज यानी बुधवार के दिन 98 साल के दिलीप कुमार(Dilip kumar) ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। जिस तरह से शाहरुख खान(Sharukh khan) को को किंग खान कहते हैं उसी तरह दिलीप कुमार(Dilip kumar) को बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग के नाम से भी जाना जाता है। लंबे वक्त से दिलीप कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं था।

बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार मुंबई के खार हिंदुजा अस्पताल में थे। दिलीप कुमार कि पत्नी सायरा बानो 2 दिन पहले ही दिलीप के लिए दुआ करने के लिए ट्वीट कर चुकी थी। डॉक्टर पारकर ने आज सुबह 7:30 बजे बताया कि अब दिलीप इस दुनिया में नहीं रहे।

अभिनेता दिलीप कुमार का निकला था पाकिस्तान से ये कनेक्शन…

कांग्रेस की ओर था झुकाव

खुले रूप से कांग्रेस कि तरफ झुकाव होने के कारण दिलीप कुमार(Dilip kumar) के राजनीतिक रिश्ते शिवसेना(Shivsena) के सुप्रीमो बाल ठाकरे के साथ भी बहुत अच्छे थे। वर्ष 1998–99 में दोनों के बीच खटास जरुरी आई थी लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया था।

वर्ष 1998-99 का वक्त था, जब पाकिस्तान सरकार ने दिलीप कुमार को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान ए इम्तियाज़’ देने की इच्छा जताई थी। इसके बाद हिंदुस्तान के कई लोगों ने सवाल करते हुए यह कहा था कि क्या दिलीप कुमार को निशाने इम्तियाज लेना चाहिए या नहीं?

देशभक्ति को लेकर उठ चुके हैं सवाल

उस दौर में पाकिस्तान को लेकर दिलीप कुमार(Dilip kumar) के बारे में जानने के बाद भी बालासाहेब ठाकरे भी यह नहीं चाहते थे की दिलीप कुमार यह सम्मान ग्रहण करे। ठाकरे के इस इनकार के बाद बहुत सारे राजनीतिक दल ठाकरे से चटकारे लेते दिखे।

अभिनेता दिलीप कुमार का निकला था पाकिस्तान से ये कनेक्शन…

दिलीप कुमार(Dilip kumar) को सबसे ज्यादा असहज तब महसूस हुआ था जब उनके परम मित्र कार्टूनिस्ट ने राजनीति में जाने के बाद दिलीप पर निष्ठा और देशभक्ति के लिए सवाल उठाया था।

इसके बारे में दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि दिलीप कुमार उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के साथ सलाह मशवरा कर रहे थे, कि क्या उन्हें “निशाने ए इम्तियाज” लेना चाहिए या नहीं।

फिल्मी पत्रकार ने दिया बयान

इसके बाद ही मीडिया के एक भाग को यह मौका मिल चुका था कि दिलीप कुमार(Dilip kumar) के ऊपर एजें डा कैसे चलाना है। इस पर बात करते हुए दिवंगत पत्रकार फेंगुसुई मास्टर मोहनदीप ने लिखा है कि “ठीक है लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि दिलीप कुमार(Dilip kumar) को क्यों ‘निशान ए इंतियाज’ दिया जा रहा है।

मैं कभी समझ भी नहीं पाउंगा, क्योंकि ये अवार्ड पाकिस्तान को दी गई सेवाओं के लिए है, जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते। महज दिलीप कुमार ही इस बारे में हमें कुछ बता सकते हैं। आखिर उन्हें यह सम्मान क्यों दिया जा रहा है। काम तो वे हिंदुस्तान में करते है।