अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

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हरियाणा में पांच बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले चौधरी ओमप्रकाश चौटाला अपनी सजा पूरी करके आ चुके हैं अब से वह राजनीति में सक्रिय होंगे और इसी कारण देश भर में हरियाणा की राजनीति चर्चाओं में है। राजनीति में चौटाला के सक्रिय होने से उनके पुत्र अभय चौटाला और उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल मजबूत होंगे।

चौटाला के आगमन से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को होगा और भाजपा को इसका फायदा होगा। साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चौटाला की राजनीति में सक्रिय होने से सबसे अधिक हानि उनके अपने पौत्र दुष्यंत चौटाला और उनकी जननायक जनता पार्टी (JJP) को होगी।

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि दुष्यंत और उनकी पार्टी का जनाधार खत्म हो जाएगा। क्योंकि कुछ महीनों बाद दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला भी अपनी सजा पूरी करके बाहर आएंगे और अपने पुत्र को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

इसलिए दुष्यंत बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहे हैं और साथ ही जजपा भी। दुष्यंत के मजबूत होने से चौटाला और हुड्डा दोनों उतने ही कमजोर होंगे। इसमें कोई शक नहीं कि ओम प्रकाश चौटाला का सबसे अधिक प्रभाव जाट मतदाताओं पर होता है। लेकिन अजय चौटाला का संबंध जाट समुदाय से कम नहीं है। इसके अलावा अजय के समर्थक गैर–जाट समुदाय में भी हैं।

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

वास्तव में, ओम प्रकाश चौटाला जब तक मुख्यमंत्री रहे हैं तब तक इनेलो की कमान उनके हाथ में रही है। तब संगठन का सारा कार्यभार अजय संभालते थे। उनमें लोगों को स्वयं के साथ जोड़े रखने की जबरदस्त कला है।

प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. भगवतदयाल शर्मा के स्वर्गीय पुत्र राजेश शर्मा उनके अच्छे व्यवहार के कारण इनेलो से जुड़े थे। लेकिन दुर्भाग्यवश उनका निधन हो गया। मृत्यु से पहले उन्होंने अजय चौटाला को मैसेज किया था कि ‘आप जैसे प्यारे इन्सान दुनिया में बहुत कम हैं।’

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

इसका उल्लेख हम केवल इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि अजय चौटाला की वापसी से जो दो–चार नेता दूसरे दलों में चले गए हैं वह वापस आ सकते हैं। अजय की राजनीति में एंट्री होने से बहुत से मजबूत नेता जज्बा का दामन थाम सकते हैं। अजय की आकर्षक भाषण कला से जजपा को काफी लाभ होगा।

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

बहुत से जाट समुदाय के युवा दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला से नाराज हैं क्योंकि उन्होंने प्रदेश में भाजपा का समर्थन कर उनकी सरकार बनवाई। इससे उनकी लोकप्रियता कम अवश्य हुई है लेकिन खाते नहीं। दुष्यंत चौटाला ने हिसार से सांसद चुने जाने के बाद राजनीति में जो सक्रियता दिखाई है युवा उन्हें अपना रोल मॉडल मानने लगे। हरियाणा के छात्रों के बीच जितनी लोकप्रियता दुष्यंत चौटाला की थी उतनी किसी भी युवा नेता की नहीं थी। इसमें दुष्यंत की छवि और मेहनत के साथ–साथ भाई दिग्विजय की रणनीति भी थी।

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परिवारिक कलह के बाद दोनों भाई अपने चाचा अभय चौटाला से अलग हो गए तब ओमप्रकाश चौटाला ने अभय चौटाला का पक्ष लिया। इसको देखते हुए अजय चौटाला ने अपने बेटों के साथ एक नई पार्टी जननायक जनता पार्टी का गठन किया। दोनों भाइयों ने कड़ी मेहनत के बल पर जजपा को इस मुकाम तक पहुंचाया।

विधानसभा चुनाव में जज्बा को 10 सीटें मिली जबकि इनेलो को एकमात्र सीट अभय चौटाला को मिली। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद दुष्यंत के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई कि कांग्रेस का सपोर्ट कर उनकी सरकार बनवाएं या फिर विपक्ष में बैठे भाजपा को समर्थन दे।

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

दुष्यंत को पता था कि भाजपा से गठबंधन करने पर उनके समुदाय के अधिकतर लोग उनसे नाराज हो जाएंगे। लेकिन उन्होंने अपने पिता की सलाह पर भाजपा के साथ गठबंधन किया और उनके भविष्य के लिए यह सबसे सुरक्षित फैसला था।

अगर दुष्यंत हुड्डा का सपोर्ट कर उनकी सरकार बनवा देते तो इसका कोई फायदा नहीं होता क्योंकि हुड्डा उनका भविष्य चौपट करने का हर संभव प्रयास करते। क्योंकि उन्हें अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को राजनीति में लाना था इसके लिए वे साल 2005 से जद्दोजहद कर रहे हैं। दूसरी और दुष्यंत ने पहली बार में ही हरियाणा के दिग्गज नेता कुलदीप बिश्नोई को पराजित कर लोकसभा में प्रवेश किया और अपने व्यक्तित्व के बल पर विशेष छवि बनाने में सफल रहे।

अजय चौटाला की रिहाई का हो रहा बेसब्री से इंतजार, विपक्ष को हो सकता है नुकसान

यदि दुष्यंत ने विपक्ष में बैठने का फैसला किया होता तो भाजपा निर्दलीयों की सहायता से सरकार बना ही लेती साथ ही जजपा में तोड़ फोड़ करने से भी बाज नहीं आती। लेकिन अब दुष्यंत चौटाला मुख्यमंत्री बन गए। इससे उनके जनाधार को काफी क्षति पहुंची है और इसकी क्षतिपूर्ति कैसे हो, उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जिस तरह हर पिता अपने पुत्र की चिंताओं को दूर करता है। दुष्यंत और दिग्विजय को विश्वास है कि उसी तरह उनके पिता भी उन्हें इस चिंता से मुक्ति दिलाएंगे और अपने व्यक्तित्व से पार्टी का जनाधार वापस लाने और बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।