फरीदाबाद, 9 जुलाई। उपायुक्त यशपाल ने बताया कि सरकार द्वारा जारी जलसंरक्षण अभियान के गांवों में गन्दे पानी को साफ करके उसका सदुपयोग किया जा रहा है। इस विधि के अनुसार गांव में एक साथ 3 या 5 तालाब बनाने के लिए खोदाई होती है। गाँव का गंदापानी सबसे पहले वाले तालाब में जाता है। जब यह भर जाता है, तो पाईप से दूसरे और फिर तीसरे तालाब में पानी जाता है।
पानी के साथ आया कचरा सबसे पहले वाले तालाब मे रह जाता है और बाकी दूसरे में नीचे जम जाता है। तीसरे या पांचवे तालाब तक साफ पानी ही पहुंचता है। तीसरे या पांचवे तालाब में पहुचें पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए हो सकता है।
यह जानकारी देते हुए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सीटीएम पुलकित मलहोत्रा ने बताया कि गांव के तालाबों को एक बार फिर से जीवंत करने का कार्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत पहले चरण में 31 एवं द्वितीय चरण में 22 गांवों का चयन सहित जिला फरीदाबाद में 63 गांव को चिन्हित किया गया है।
उन्होंने बताया कि यहां तीन और पांच तालाब विधि एवं नाली निर्माण का कार्य कार्यकारी अभियंता पंचायती राज द्वारा कार्य किया जा रहा है। इस मुहिम का मकसद भूजल स्तर बढ़ाने के साथ ही गांव में तालाबों के पानी को खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग करना भी है।
जिला परिषद के सीईओ पुलकित मल्होत्रा ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांव के तालाबों का पुनः निर्माण व नए तालाब खोदे जा रहे है।
उन्होंने बताया कि यमुना नदी किनारे बसे गांव मंझावली, अरूआ, फैज्जूपुर खादर, पियाला, फरीदपुर, शाहबाद एवं बदरपुर सैद के तालाबों को तीन व पांच तालाब विधि के रूप में बदला जा चुका है।
सीटीएम पुलकित मल्होत्रा ने बताया कि इस विधि से गंदा पानी साफ कर फसलों की सिंचाई होगी। गांव फज्जुपुर खादर में नए तालाब का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि तीन व पांच तालाब विधि
तीन व पांच तालाब विधि का मतलब गांव के गंदे पानी को साफ करना है।उन्होंने बताया कि इस विधि के अनुसार, गॉव मे एक साथ तीन या पांच तालाब बनाने के लिए खोदाई होती है।
गाँव का गंदा पानी सबसे पहले वाले तालाब में जाता है। जब यह भर जाता है, तो पाईप से दूसरे और फिर तीसरे तालाब में पानी जाता है।
पानी के साथ आया कचरा सबसे पहले वाले तालाब मे रह जाता है और बाकी दूसरे में नीचे जमा हो जाता है। तीसरे या पांचवे तालाब तक साफ पानी ही पहुंचता है। उन्होंने बताया कि तीसरे और पांचवे तालाब में पहुचें पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए हो सकता है।