इस बार मेडिकल सर्टिफिकेट से ज्यादा होगा अभिभावकों के सहमति पत्र का महत्व

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संक्रमण की तीसरी लहर के बीच अब एक बार फिर शिक्षण संस्थानों को खोले जानें की अनुमति 16 जुलाई से मिल चुकी हैं। ऐसे में जहां पिछली बार तक छात्रों का स्कूल प्रवेश करने से पहले कोविड-19 टेस्ट का सर्टिफिकेट लाना जरूरी था। अब ऐसा जरूरी नहीं होंगा, अब छात्रों का केवल अपने अभिभावकों का सहमति पत्र ही उनके प्रवेश में अहम भूमिका निभाने में कारगर होगा।

दरअसल, 22 जुलाई से 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए आवासीय स्कूल खोलने के आदेश दिए गए हैं। वहीं, योजना बनाना और शिड्यूल जारी करना, कोविड-19 संबंधी संसाधनों की व्यवस्था करना, स्कूल में सुरक्षा, सफाई संबंधी व्यवस्था करना, संक्रमण को रोकने संबंधी नियमों को लागू करना समेत अन्य कार्य स्कूल हेड को करने होंगे।

इस बार मेडिकल सर्टिफिकेट से ज्यादा होगा अभिभावकों के सहमति पत्र का महत्व

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच शहर में 16 जुलाई से स्कूल खुल रहे हैं। इस बार स्कूल आने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। पिछले बार कोरोना के मामले कम होने पर स्कूल खोले गए थे तो मेडिकल सर्टिफिकेट लेने के लिए अस्पतालों में बच्चों की भीड़ लग गई थी। ऐसे में इस बार छात्रों से सिर्फ अभिभावकों का सहमति पत्र लाने के लिए कहा गया है। कक्षाएं सुबह 8:30 से 11:30 बजे तक लगेंगी। छात्र एक-दूसरे से स्टेशनरी भी शेयर नहीं करेंगे। साथ ही मिड डे मील भी नहीं मिलेगा। उपस्थिति को लेकर कोई बाध्यता नहीं होगी और ऑनलाइन कक्षाएं भी जारी रहेंगी।

जिला शिक्षा अधिकारी इंदू बोकन ने बताया कि 16 जुलाई से 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के स्कूल खुलने जा रहे हैं। स्कूल हेड और प्रिंसिपल 50% हाजिरी के साथ रोस्टर सिस्टम तैयार कर रहे हैं। उन्हें स्कूलों में कोरोना की रोकथाम संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करवाना होगा। पहले दिन से ही बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी होगी। अगर अभिभावक सहमति नहीं देते हैं तो बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी। अवसर ऐप पर अध्यापक और बच्चों के शरीर का तापमान प्रतिदिन अपडेट किया जाएगा और बच्चों की हाजिरी भी दर्ज की जाएगी।

इस बार मेडिकल सर्टिफिकेट से ज्यादा होगा अभिभावकों के सहमति पत्र का महत्व

प्रोटोकॉल पालन के लिए बनाई जाएगी कमिटी
स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन हो, इसके लिए स्कूल में अलग से कमिटी का गठन किया जाएगा। इसमें एसएमसी अध्यक्ष को कमिटी का अध्यक्ष, स्कूल मुखिया को कमिटी का सचिव व अन्य सदस्यों में पीटीआई, डीपी, अन्य दो अध्यापक, एनसीसी, एनएसएस स्काउट गाइड के छात्र, कंप्यूटर टीचर शामिल होंगे।

इस बार मेडिकल सर्टिफिकेट से ज्यादा होगा अभिभावकों के सहमति पत्र का महत्व

इन नियमों का पालन जरूरी
सभी अध्यापकों को मोबाइल पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड और अपडेट करना
स्कूल परिसर में थूकने पर मनाही
स्कूल के बच्चे बीमार होने पर सूचित करेंगे
मास्क से लेकर हाथों को सैनिटाइजर और 6 फीट की दूरी अनिवार्य