महामारी की दूसरी लहर में स्थिति काफी भयावह हो गई थी। ऑक्सीजन बेड से लेकर श्मशान घाट तक सभी चीजों की कमी नजर आई। महामारी की दूसरी लहर में बहुत से हृदय विदारक तस्वीरें सामने आई ऐसा ही कुछ झज्जर में देखने को मिल रहा है जहां परिषद के कर्मचारियों ने लोगों का अंतिम संस्कार तो कर दिया परंतु अस्थियों के विसर्जन का कोई इंतजाम नहीं किया। यह अस्थियां श्मशान घाट में ही कचरे के ढेर में तब्दील हो गई।
दरअसल, अप्रैल के पहले हफ्ते में महामारी के दूसरे लहर में पूरे देश में अपना आतंक मचा दिया। देश भर से ऑक्सीजन बेड की कमी तथा श्मशान घाट की स्थिति की ख़बरें सुर्खियां बटोरने लगी। जिला प्रशासन से लेकर केंद्र सरकार तक कोई भी महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए तैयार नहीं था। अचानक से इस लहर ने लोगों के अंदर डर उत्पन्न कर दिया वही तैयारियां ना होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
झज्जर में महामारी प्रोटोकॉल के तहत करीब ढाई दर्जन से भी ज्यादा लोगों के मरने के बाद परिषद के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार तो कर दिया लेकिन अस्थियों के विसर्जन का कोई इंतजाम नहीं किया। गंगा में विसर्जन ना होने के चलते विभिन्न लोगों की यह हसने श्मशान घाट में ही कचरा बन गई। कुत्तों को श्मशान घाट में पड़ी इन अस्थियों को अपना भोजन बनाते हुए देखा गया है।
सुबह की सैर करने वालों के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने इस बारे में परिषद के आला अधिकारियों को जानकारी दी लेकिन कोई आदेश न होने के चलते परिषद के अधिकारी भी इससे पल्ला झाड़ते रहे। जब बहादुरगढ़ के सामाजिक संस्था मोक्ष सेवा समिति के संज्ञान में आया तो समिति के सदस्यों ने झज्जर आकर इस बारे में नगर परिषद के अधिकारियों से संपर्क किया।
समिति की पहल पर परिषद के अधिकारियों ने अपने कर्मचारियों से नाश्ते को एकत्रित करवा कर उन्हें समिति के सदस्य को सुपुर्द कर दिया है। अब इन अस्थियों को समिति सदस्यों ने हरिद्वार के कंखल पहुंचाकर परिषद विसर्जित कर दिया है।