“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागूं पाए,
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय” यह दोहा हमें बचपन से ही पढ़ाया जाता हैं और साथ ही अपने शिक्षकों का आदर करना भी सिखाया जाता हैं।
शिक्षको को समाज का आईना कहा जाता हैं, एक विद्यार्थी का भविष्य उसके शिक्षक के ही हाथों में ही होता है। एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देकर उसका भविष्य उज्ज्वल बनाता हैं।
माँ बाप अपने बच्चे को एक शिक्षक के पास उसके उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए पड़ने के लिए भेजते हैं, ऐसे में अगर एक शिक्षक बच्चों के साथ दुष्कर्म करता हुए पकड़ा जाए तो कोई माता पिता कैसे किसी शिक्षक पर विश्वास कर पाएंगे।
एक ऐसा ही मामला पानीपत में फरवरी 2019 में सामना आया था, जहां दो बच्चों के साथ एक शिक्षक द्वारा छेड़छाड़ का मामला सामना आया था। अधिवक्ता जगदीप धनखस ने बताया की जब बच्चों का मेडिकल चेकउप हुआ तो तब इस घटनाक्रम का खुलासा हुआ।
आरोपी अनिल शर्मा के पड़ोस में ही यह बच्चे रहते थे, और उसके पास पड़ने जाते थे। मेडिकल रिपोर्ट में एक बच्ची के साथ कुकर्म की पुष्टि हुई थी, जिसमे सुमित गर्ग की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास यानि 20 साल की सजा सुनाई. न्यायालय ने अपने आदेश में आरोपी को 20 साल की सजा के साथ 50 हजार का जुर्माना भी लगाया।
जब पीड़ितों ने अपने पेट में दर्द बताया तो उनके परिजन उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, और जब उनकी मेडिकल रिपोर्ट आई तो सब हैरान रह गए। मेडिकल रिपोर्ट में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामला का खुलासा हुआ।
पीड़ित पक्ष कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नही हैं। उनका कहना हैं कि ऐसे शिक्षक को फांसी की सज़ा होना चाहिए जो कि समाज में एक उदाहरण बन सकें और कोई भी शिक्षक ऐसे कार्य करने से पहले सोचे।