मोदी सरकार ने लिया आरक्षण पर ये बड़ा फैसला :- केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी (OBC) की सूची पर राज्य को अधिकार देने के लिए एक संवैधानिक संशोधन को अंतिम रूप दिया है। या फिर यूं कहें कि अब ओबीसी सूची पर राज्यों की शक्ति बहाल की गई है। इसे मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर निरस्त कर दिया था कि राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की लिस्ट तय नहीं कर सकती।
साथ ही यह भी कहा गया था कि उस लिस्ट को केवल भारत के राष्ट्रपति ही नोटिफाई कर सकते हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा अनुच्छेद 342A के अंदर एक संशोधन किया है।
अनुच्छेद 342 के अंतर्गत राज्य सरकारों के पास मौजूद सूचियों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन कितना पढ़ा लिखा है। किस व्यक्ति के पास कितनी संपत्ति है और साथ ही यह भी दिया गया है कि कौन किस वर्ग से आता है। मीडिया द्वारा मिल रही जानकारी के मुताबिक कानून मंत्रालय ने इस संशोधन की समीक्षा की है।
राज्य सरकार को मिलेगी आरक्षण शक्ति
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मुख्य अधिकारियों ने बताया कि सरकार अब इसे संशोधित करने की तैयारी में है। बहुत ही जल्द इसे संशोधित कर लागू कर दिया जाएगा। इसे संशोधित करने के लिए संसद में पेश करना बाकी है।
मराठा समुदाय के लिए बड़ी खबर
आपको बता दें कि सोमवार यानी 18 जुलाई से शुरू हो रहे हैं। संसद के मानसून सत्र में अभी तक इस कानून में बदलाव लेने के लिए पेश नहीं किया गया है। इसे पारित करने के लिए भी सूचीबद्ध नहीं किया गया है। दरअसल जुलाई महीने की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 324A को आधार बनाते हुए मराठा समुदाय के लिए कोटा को खत्म करने के आदेश वाली याचिका को निरस्त कर दिया है।
ओ॰बी॰सी॰ सूची को राष्ट्रपति ही नोटिफाई कर सकता है
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NOBC) को एक बेहद महत्वपूर्ण दर्जा देने के लिए वर्ष 2018 में संविधान में 102वें संशोधन के आधार पर अनुच्छेद 124 ए को लाया गया था। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग कई वर्ष से संवैधानिक दर्जा लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे तीन–दो के बहुमत के साथ 102वें संशोधन को सही बताया था। लेकिन कोर्ट द्वारा यह भी कहा गया था कि राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की सूची को तय नहीं कर सकता इसे केवल राष्ट्रपति ही नोटिफाई कर पाएंगे।