किसान के बेटे ने हासिल की अमेजॉन में नौकरी, 67 लाख रुपए का मिला पैकेज

0
289

जीवन में आसमान की बुलंदियों को छूने के लिए कड़ी मेहनत और लगन बेहद जरूरी है । एक कड़ी मेहनत के साथ धैर्य रखने वालों का सितारा ही एक दिन आसपास में चमकता दिखाई देता है । दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल (सोनीपत) के स्टूडेंट्स एवं किसान परिवार के बेटे अवनीश छिक्कारा ने इस कथन को सच कर दिखाया है ।

DCRUST के इलेक्ट्रॉनिक्स के एक छात्र अवनीश छिक्कारा को अमेजॉन जैसी बड़ी कंपनी में 67 लाख रुपए का पैकेज मिला है । सेलेक्शन के बाद कुलपति प्रो. अनायत ने अवनीश को आशीर्वाद दिया और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी।

अवनीश से जुड़ी जानकारी

किसान के बेटे ने हासिल की अमेजॉन में नौकरी, 67 लाख रुपए का मिला पैकेज



अवनीश गांव करवेड़ी के रहने वाले हैं और पिता परिवार के पालन-पोषण के लिए खेती के साथ-साथ निजी वाहन भी चलाते हैं । परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद भी अवनिश ने मजबूरियों का रोना न रोते हुए कड़े संघर्ष को जारी रखा है।

किसान के बेटे ने हासिल की अमेजॉन में नौकरी, 67 लाख रुपए का मिला पैकेज



शुरुआती दिनों में विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए पास फीस देने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन दादा जगबीर ने आगे बढ़कर अवनीश की मदद की और कुछ दिनों पश्चात अवनीश ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी फीस व कोर्स पर होने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए पैसा जुटाना शुरू कर दिया

1 साल पश्चात एक करोड़ रुपए हो जाएगा पैकेज

किसान के बेटे ने हासिल की अमेजॉन में नौकरी, 67 लाख रुपए का मिला पैकेज



अवनीश को एक कंपनी में इंटर्नशिप का मौका भी मिला, अवनीश को इस दौरान 2 लाख 40 हजार रुपए प्रति माह का पैकेज मिला। अवनीश की इंटर्नशिप ऑनलाइन माध्यम से हुई। कड़ी चयन प्रक्रिया के पश्चात अवनीश का चयन अमेजॉन कंपनी में हुआ।

अवनीश को कंपनी की तरफ से 67 लाख रुपए का पैकेज मिला और एक साल के साल के बाद अवनीश का पैकेज करीब एक करोड़ रुपए का होगा ।रिपोर्ट्स के अनुसार अवनीश ने कहा कि कुलपति प्रो राजेंद्र कुमार अनायत के उद्वोधन, शिक्षकों का उचित मार्गदर्शन, माता-पिता का आशीर्वाद व कड़ी मेहनत के दम पर ही आज वो इस मुकाम पर पहुंचा है ।

ऐसे मेहनती लोग समाज में एक एहम संदेश देते हैं जिससे समाज में रहने वाले अन्य लोग भी अपने करियर को लेकर जागरूक होते है ।अगर निरंतर अनुशासन में रहकर कड़ा परिश्रम किया जाएं तो किसी भी मंजिल पर पहुंचा जा सकता है। अवनीश की बदौलत विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. उम्मीद है कि विश्वविद्यालय के संसाधनों का सदुपयोग करके दूसरे विधार्थी भी अवनीश से प्रेरित होकर अपने गंतव्य पर पहुंचने में कामयाब होंगे ।