रावण नाम सुनकर कुछ लोगों की आस्था जाग जाती है तो कुछ लोगों को क्रोध आ जाता है। रावण काफी शक्तिशाली था इस बात से भगवान राम ने भी कभी इंकार नहीं किया। कहते हैं रावण के दस सिर थे। क्या सचमुच यह सही है? कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे।
रावण ने भगवान राम के साथ लड़ाई कर अपना सब कुछ खो दिया था। भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। रावण ने अमृत्व प्राप्ति के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर वरदान माँगा, लेकिन ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को न मानते हुए कहा कि तुम्हारा जीवन नाभि में स्थित रहेगा। रावण की अजर-अमर रहने की इच्छा रह ही गई।
वह हर कला में सिद्ध था। तीनों लोकों का विजेता रावण को कहा गया है। रावण ब्राह्मण पिता और राक्षस माता का पुत्र था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि का पोता था अर्थात् उनके पुत्र विश्वश्रवा का पुत्र था। विश्वश्रवा की वरवर्णिनी और कैकसी नामक दो पत्नियां थी। वह शिव की शक्ति को जानता था इसीलिए उसने शिव तांडव स्त्रोतम् प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त रावण को कहा जाता है। उसकी भक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकता है। रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद रावण ने लंका को अपना लक्ष्य बनाया। लंका पर कुबेर का राज्य था।
रावण का जीवन नाभि में था। रावण नाम उसे शिव से मिला था। रावण ने कुबेर को लंका से हटाकर वहां खुद का राज्य कायम किया था। धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था जिसे रावण ने छीन लिया था।