पराली जलाने से पर्यावरण और खेती दोनो को नुक्सान होता हैं , जिसको देख कर केंद्र सरकार ने राज्य की सरकारों को पराली न जलाने का और इससे खाद्य बनाने के निर्देश दिए। लेकिन इसके बाद भी पराली जलाने के मामलो में कोई भी खास गिरावट देखने को नहीं मिली।
पराली जलाने से हवा दूषित होती है लोगो को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए और किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया हैं।
प्रदेश सरकार पराली के प्रबंधन के लिए अभी से कार्य में लग गई हैं। खट्टर सरकार एक बार फिर किसानों के लिए एक खुश खबरी लेकर आई हैं, किसान पराली न जलाए इसलिए सराकर ने उन्हें आर्थिक मदद करने का निर्णय लिया हैं, जिससे किसानों को भी फायदा हो और पर्यावरण को भी नुक्सान न हो।
इस साल स्ट्रा बेलर द्वारा पराली की गांठ या बेल बनवाकर इसे औद्योगिक इकाइयों में देने वालो किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपए की प्रोत्साहित राशि दी जाएगी। इस सबके लिए सरकार द्वारा 230 करोड़ रुपए का बजट रखा गया हैं।
हरियाणा के किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए http://agriharyanagov.in पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि अधिकारी या टोल फ्री नंबर 18001802117 पर संपर्क कर सकते हैं। इस पोर्टल पर किसान और उद्योग पराली का क्रय विक्रय कर सकते हैं।
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